आम बजट शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का है जो मूल समस्या से मुंह छिपाकर खुश होना चाहता है : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा आज संसद में पेश किए गए वर्ष 2020-21 के बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह बजट शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का है जो मूलभूत समस्याओं से मुंह छिपाकर खुश होना चाहता है। इस समय देश में मांग की कमी है, जिसकी वजह से देश मंदी की ओर जा रहा है और इसके मूल में जनता की जेब में पैसों की कमी है। लेकिन वित्त मंत्री ने जनता तक पैसा पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ाने के लिए कोई नीति नहीं है। मंदी के दुष्चक्र से निकलना मुश्किल है। इस बजट से जी.डी.पी. वृद्धि, रोजगार वृद्धि सम्भव नहीं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) और फूड प्रोसेसिंग इकाईयों को बढ़ावा देने और एथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु कोई उपाय नहीं किए गए। बजट में रोजगार, युवाओं और मध्यम वर्ग के लिए कोई भी ठोस प्रावधान नहीं किया गया है, जिससे कोई उम्मीद बंधती हो। केन्द्र सरकार रेल्वे, भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर रही है, इससे देश में बेरोजगारी और अधिक बढ़ेगी। आयकर के नए स्लैब घोषित किए गए हैं, लेकिन इसमें विकल्प का प्रावधान देकर आयकर दाताओं, नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग को उलझा दिया गया है। किसानों की आय दोगुना करने और फाइव ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का सपना दूर-दूर तक पूरा होता नहीं दिखता।

यह बजट जनता के साथ बड़ा छलावा है। बजट में बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी जैसी प्रमुख समस्याओं की अनदेखी की गई है। लोगों की जेब में पैसा नहीं है, इससे देश में वस्तुओं की मांग घटती जा रही है। पुरानी स्मार्ट सिटी का कोई अता-पता नहीं है और पीपीपी मॉडल पर नई स्मार्ट सिटी बनाने की बात कही जा रही है। रोजगार कैसे पैदा होगा, मोदी सरकार बेरोजगारी के मसले को कैसे दूर करेगी। ये बजट आंकड़ों का मकड़जाल है ताकि अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। दो घंटे 40 मिनट के बजट में कुछ भी ठोस नहीं था। छत्तीसगढ़ को कुछ नहीं दिया गया।

श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने को कहा है, लेकिन बजट में कोई विशेष उपाय नहीं किए गए हैं। किसानों को फसलों की सुरक्षा और पर्याप्त उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी मदद की जरूरत है। किसान पीड़ित हैं, लेकिन उनकी उपज के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी नहीं है। जो कुछ दिया गया है, वह कृषि उड़ान है, जो केवल कुछ बड़े किसानों को लाभान्वित करेगा। सोलह सूत्रीय कार्यक्रम किसी भी तरह से छोटे किसानों की मदद करने वाला नहीं है। बजट में दिए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कोई विशिष्ट विचार या कार्य योजना नहीं है। भारत की दो सबसे बड़ी समस्या-अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी और मंदी का भी बजट में उल्लेख नहीं किया गया है। ऑटो सेक्टर, उद्योग क्षेत्र के लिए कोई राहत नहीं है। योजनाओं के कार्यान्वयन पर कोई स्पष्टता नहीं।

हम तो लम्बे अरसे से रायपुर एयरपोर्ट को अपग्रेड करने की माँग कर ही रहे थे। तीन मॉडल सेन्ट्रल लाॅ का पालन करने की सलाह राज्यों को दी गयी है। इसमें राज्यों की क्या स्थिति है, क्या आधारभूत आवश्यकता है, ये बात बिलकुल छूट रही है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2015 से बन रही है और अभी भी शीघ्र नीति घोषित करने की बात कर रहे हैं। इतने समय में तो तीन बैच इंजीनियरिंग पूरी कर लिए हैं। जी.एस.टी. के कारण छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ये चैकीदार सरकार नहीं जेबकतरी सरकार है। कुल मिलाकर जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं से खिलवाड़ किया है।

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