कृषि मंत्री श्री चौबे ने स्थानीय प्रजाति के उन्नत नस्ल के पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने दिये निर्देश

रायपुर(बीएनएस)। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने छत्तीसगढ़ में स्थानीय प्रजाति के उन्नत नस्ल के पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 27 कृषि विज्ञान केंद्रों, 15 परिक्षेत्रों और उद्यानिकी विभाग की 100 नर्सरियों में 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सब्जियो के उन्नत बीज तैयार किये जा रहे हैं। उन्नत बीजों के माध्यम से कृषि रोपणी और प्रथम फेस के गौठानो में बाड़ी विकसित की जाएगी। उन्नत बीजों का वितरण वर्षा ऋतु के पूर्व किया जाएगा। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि उन्नत और पौष्टिक साग-सब्जियो के उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्र में कुपोषण की दर में भी कमी आएगी।

उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा राज्य में कुपोषण की दर में कमी लाने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। कुपोषण की समस्या को दूर करने हेतु ग्रामीण स्तर पर पोषण बाड़ी योजना आरंभ किया गया है। योजना के तहत् गांवों को पौष्टिक सब्जी, भाजी और फल उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सके। पोषण बाड़ी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के बालक बालिकाएं विशेष रूप से लाभान्वित हो पाएंगे तथा राज्य में कुपोषण की दर में कमी आएगी।

राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी अंतर्गत किसानों को सब्जियो की उच्च गुणवत्ता वाले सब्जी बीज उपलब्ध कराने के लिए पहल की जा रही है। किसानों को स्थानीय जलवायु, जल उपलब्धता और मिट्टी की प्रकृति के अनुरूप उन्नत प्रजाति के फसल लेने के साथ ही स्थानीय स्तर पर बीज उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि उन्हें निजी विक्रेताओं पर बीज की उपलब्धता हेतु निर्भर न होना पड़े।

स्थानीय प्रजातियों की पौष्टिकता को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय प्रजाति के सब्जियों के संरक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मुक्त परागित सब्जियों की किस्मों में मटर की (अर्केल किस्म), मेथी की (आरएमटी-305), बैगन की (पंत सम्राट), मूली एवं टमाटर की (पूसा रूबी किस्म), धनिया की (हरीतिमा), सेम की (इंदिरा), पालक की (आल ग्रीन किस्म), भिन्डी और लौकी के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। शकरकंद, कुंदरू, खेखसी और परवल के पौष्टिक और अधिक उत्पादन वाली प्रजातियों के बीज भी उपलब्ध कराए जाएंगे। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों, शासकीय उद्यानों और नर्सरी में उन्नत बीज तथा पौधे तैयार किये जा रहे हैं, जिन्हें गांवों के गोठानों में रोपित किया जाएगा। हाइब्रिड किस्मों की अपेक्षा सब्जियों की मुक्त परागित किस्मों में अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता, कम उत्पादन लागत, स्थानीय जलवायु के लिए अनुकूल होने के साथ ही स्थानीय बाजारों में इनकी अधिक मांग भी होती हैं।

साथ ही इन किस्मों की बीजों के उत्पादन में अधिक तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं पड़ने के कारण कृषक कम देखरेख एवं कम लागत में इन सब्जियों के बीज स्वयं खेतों पर उत्पादित कर सकते हैं।

इसके साथ ही कृषि विज्ञान केंद्रों के द्वारा किसानों को उन्नत बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भी किया जा रहा है, जिससे किसान स्वयं ही उन्नत बीज एवं पौधे तैयार कर उन्नत बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकें।

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