रायपुर(बीएनएस)। छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों में माघी पुन्नी के दिन मेला लगता है, लेकिन राजिम माघी पुन्नी मेला का विशेष महत्व है। भगवान श्री राजीव लोचन का जन्मोत्सव माघी पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर का पट बंद रहता है, क्योंकि भगवान जगन्नाथ श्री राजीव लोचन का जन्मोत्सव मनाने राजिम आते हैं।
राजिम में महानदी के तट पर राजीव लोचन मंदिर परिसर से लगा सीताबाड़ी है। राजिम को धर्म नगरी और लोक कला संस्कृति का गढ़ कहा जाता है। राजिम में पैरी, सोंढूर और महानदी का पवित्र संगम स्थल त्रिवेणी है। इसी त्रिवेणी संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का मंदिर है। कुलेश्वर महादेव के संबंध में किवदंती है कि 14वें वर्ष के वनवास काल में माता सीता जी ने संगम स्थल में स्नान कर अपने कुल देवता की नदी के रेत से विग्रह बनाकर पूजा अर्चना की थी। इसी कारण उनका नाम कुलेश्वर महादेव है। राजिम छत्तीसगढ़ के लिए जन आस्था का केन्द्र है। यहां प्रतिवर्ष माघी पुन्नी मेला से महाशिवरात्रि तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यहां देश विदेश से साधू संतों एवं दर्शनार्थियों का शुभागमन होता है। कुलेश्वर महादेव मंदिर के समीप लोमश ऋषि का आश्रम है। उसी के समीप एक माह तक लोग कल्पवास करते है। राजिम क्षेत्र को छत्तीसगढ़ की पंचकोशी परिक्रमा के नाम से भी जाना जाता है। पंचकोशी परिक्रमा में 5 स्वायंभू शिवलिंग की लोग साधना पूर्वक यात्रा करते है। जिनमें प्रमुख श्री कुलेश्वर महादेव,राजिम, पठेश्वर महादेव,पटेवा, चम्पेश्वर महादेव,चंपारण, फणिकेश्वर महादेव, फिंगेश्वर और कोपेश्वर महादेव कोपरा है। राजिम पुरातत्वों एवं प्राचीन सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ भगवान श्री राजीव लोचन की भव्य प्रतिमा स्थापित है। सीताबाड़ी में उत्खन्न कार्य किया रहा है। जिसमें सम्राट अशोक के काल का विष्णु मंदिर, मौर्य कालीन अवशेष, 14वीं शताब्दी का स्वर्ण सिक्का, अनेक मूर्तियाँ और सिंधुघाटी सभ्यता से जुड़े अनेक कलाकृतियां मिल रही है। राजिम माघी पुन्नी मेला महोत्सव में पूरे छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति का दर्शन होता है।
छत्तीसगढ़ के प्रयागराज के नाम से प्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला अपने प्राचीन और पारम्परिक स्वरूप में नौ फरवरी से भरेगा। देश में अपनी अलग पहचान बनाने वाले राजिम माघी पुन्नी मेला इस वर्ष 09 फरवरी माघपूर्णिमा से 21 फरवरी महाशिवरात्रि तक पवित्र त्रिवेणी संगम के तट पर आयोजित होगा। गौर तलब है कि राज्य सरकार ने राजिम कुंभ कल्प मेला अधिनियम 2006 में संशोधन करके ‘छत्तीसगढ़ राजिम कुंभ मेला‘ का नाम परिवर्तन कर उसका प्राचीन नाम‘राजिम माघी पुन्नी मेला‘ करके मूल स्वरूप प्रदान किया है। राजिम माघी पुन्नी मेला की तैयारी पूर्णता की ओर है। मेले में पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और मूलभूत सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है । राजिम माघी पुन्नी मेला के लिए नदी पर रेत की अस्थायी सड़क बनाया गया है। विशेष पर्व स्नान के लिए कुण्ड निर्माण एवं समय पर नदी में पानी छोड़ने की तैयारी की गई है। मेला क्षेत्र में पेयजल की व्यवस्था, अस्थायी शौचालय बनाने, स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही डॉक्टरों की टीम हमेशा मौजूद रहेगी। मेले में 50 दाल-भात सेंटर संचालित किए जाएंगे । मेले में आवागमन की सुविधा के लिए नियमित और पर्याप्त संख्या में बसों का संचालन, समुचित प्रकाश व्यवस्था एवं सुरक्षा संबंधी इंतजाम किए जा रहे हैं । मेला क्षेत्र में कपड़ा एवं कागज के थैलों के उपयोग को बढ़ावा दिया जायेगा।
राजिम माघी पुन्नी मेला में छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक एवं लोक परम्पराओं पर आधारित कार्यक्रम की प्रमुखता रहेगी। गत वर्ष की ही भांति इस वर्ष भी राजिम माघी पुन्न्नी मेला के अवसर पर प्रदेश के लोक कलाकार दलों को मंच प्रदान किया जाएगा। मेले में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक खेलों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा इसमें गावों के बच्चे बड़े उत्साह से भाग लेंगे। मुख्य मंच पर प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुत होगी। स्थानीय कलाकारों द्वारा शाम 5.30 बजे से रात्रि 8 बजे तक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। मेले में नाचा, पंडवानी, रामधुनी, सुआ नृत्य, भोजली, डंडा नृत्य, राउत नाचा, गेड़ी नृत्य आदि आकर्षण के केन्द्र होंगे।