छत्तीसगढ़ के गांवों का सामाजिक ताना-बाना आज भी जीवंत है। गांव की सामाजिक संरचना में लोगों में परस्पर आपसी संबंध और भाईचारा अभी भी बना हुआ है। खेती किसानी और इनसे जुड़े काम में एक दूसरे की निर्भरता इन्हें आपस में जोड़े रखती है। गांव में कुम्हारी, बढ़ाईगिरी, लोहारी, चर्मशिल्प, तेलपेराई, धोबी जैसे कई व्यवसाय ग्रामीण जन-जीवन से सीधे जुड़े हैं। साप्ताहिक बाजार और पौनी पसारी परम्परा छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। वर्तमान परिस्थिति में गांव में पौनी-पसारी की परम्परा भले ही कमजोर हुई हो, लेकिन आज भी यह…
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लेख/आलेख
विशेष लेख : देश-दुनिया में सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान दिलाएगी ’छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद’
छत्तीसगढ़ में कला और संस्कृति के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को एक सशक्त अभिव्यक्ति देने के लिए राज्य में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का गठन किया गया है। यह परिषद राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, साहित्य, लोक भाषा एवं बोलियाँ, संगीत, नृत्य-नाटक, रंगमंच, चित्र एवं मूर्तिकला, सिनेमा, रंगमंच, आदिवासी एवं लोककलाओं के संरक्षण और संवर्धन, लोकोत्सव आदि के आयोजन के साथ ही विविध विधाओं से संबंधित शीर्षस्थ विद्वानों को सम्मानित और उन्हें प्रोत्साहित करेगी। देश में अनेक राज्यों का गठन मुख्य रूप से भाषाई आधार पर हुआ है, जबकि छत्तीसगढ़…
विशेष लेख : अब न पांव फंसते हैं न पहियां, छोटी-छोटी दूरियों की दूर हुई बड़ी समस्या
एक साल पहले की बात है। गांव में रहने वाला राजकुमार हो या फिर शहर में रहने वाला मनीष या फिर कोई और..। गांव में सरकारी अस्पताल, उचित मूल्य की दुकान, धान उपार्जन केंद्र या किसी और सार्वजनिक स्थल, सरकारी भवन की ओर अपने काम से जाने वालों को अक्सर ही परेशानी का सामना करना पड़ता था। मुख्य सड़कों से लेकर सरकारी भवन या सार्वजनिक स्थानों तक गर्मी के दिनों में जहां धूल से परेशानी उठानी पड़ती थी, वहीं बारिश के दिनों में कच्ची सड़क पर बहने वाले बारिश के…
नई सरकार नई पहल : छत्तीसगढ़ के 36 माह, धान खरीदी का साल दर साल बन रहा नया कीर्तिमान
गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने मेहनतकश किसानों-ग्रामीणों और मजदूरों के दुख-दर्द समझने वाली सरकार के रूप में छत्तीसगढ़ ने देश में एक अलग छवि बना ली है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसान हितैषी फैसलों और निर्णयों से महज 36 माह में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। छत्तीसगढ़ की मौसम और जलवायु के साथ-साथ लगभग 80 प्रतिशत लोगों की खेती-किसानी पर निर्भरता को देखते हुए नई सरकार ने खेती-किसानी को लाभकारी बनाने का निर्णय लिया। खेती-किसानी में आधुनिक तौर-तरीके के इस्तेमाल और किसानों को उनकी…
छत्तीसगढ़ में डिजिटल क्रांति : शासन-प्रशासन तक आसान बनी लोगो की पहुंच
डिजिटल क्रांति के इस आधुनिक दौर में देश दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाते हुए छत्तीसगढ़ में भी आमजनता तक नागरिक सेवाओं को पहुंचाने, शासन प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और कसावट लाने जैसे कार्यों में सूचना प्रौद्योगिकी का कुशलता और दक्षता के साथ उपयोग किया जा रहा है। चाहे फलैगशिप योजनों की मानिटरिंग की बात हो या हितग्राहियों तक जानकारी और योजनाओं की राशि पहुंचाने का कार्य हो, छत्तीसगढ़ ने कुशलता के साथ आईटी के दूरदर्शिता पूर्ण उपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। कोरोना काल में भी…
विशेष लेख : मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना, गरीबों से रही नाता जोड़, दूर हो रही अस्पतालों की दौड़
बेहतर स्वास्थ्य एवं बीमारी में समुचित इलाज का सपना प्रदेश के हर नागरिकों का था। स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी कल्पना थी कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा के साथ हर छोटी बड़ी बीमारियों का इलाज समय पर और सहजता से हो। इलाज के लिए किसी भी व्यक्ति या परिवार को पैसे के लिए न जूझना पड़े। उन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच और सूझबूझ से स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा में रणनीति बनाना शुरू किया और ऐसी योजना का ताना-बाना बुना कि झुग्गी इलाकों में रहने वाले गरीब…
विशेष लेख : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, गोंडों के परम्परागत लोक नृत्य
आदिवासी समुदाय प्रकृति प्रेमी होते हैं। उनकी जीवनशैली सरल और सहज होती है। इसकी स्पष्ट छाप उनकी कला, संस्कृति, सामाजिक उत्सवों और नृत्यों में देखने को मिलती है। प्रकृति से जुड़ा हुआ यह समुदाय न केवल उसकी उपासना करता है, बल्कि उसे सहेजकर भी रखता है। ऐसा ही एक समुदाय गोंड़ जनजाति है। जिसकी कई उपजातियां हैं। जिनके रीति-रिवाजों में लोक जीवन के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। धुरवा जनजाति गोंड जनजाति की उपजाति है। धुरवा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर, दंतेवाडा तथा सुकमा जिले में निवास करती है।…
विशेष लेख : ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव‘, बैगा और माड़िया जनजाति के प्रमुख लोक नृत्य
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, लोक गीत, नृत्य और संपूर्ण कलाओं से परिचित होगा देश और विदेश। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में यह आयोजन 28 से 30 अक्टूबर तक किया जा रहा है। राजधानी का साईंस कॉलेज मैदान आयोजन के लिए सज-धज कर तैयार हो चुका है। इस महोत्सव में विभिन्न राज्यों के आदिवासी लोक नर्तक दल के अलावा देश-विदेश के नर्तक दल भी अपनी प्रस्तुति देंगे। छत्तीसगढ़ राज्य की 5 विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक बैगा जनजाति है। राज्य के कबीरधाम, मंुगेली, राजनांदगांव, बिलासपुर…
विशेष लेख : सुर और ताल का होगा संगम, आदिवासी नृत्य से मन जाएगा रम, सरगुजा से लेकर बस्तर तक आदिवासी संस्कृतियों की दिखेगी झलक
नृत्य वह संगम है। नृत्य वह सरगम है। जिसमें न सिर्फ सुर और ताल का लय समाया है, अपितु जीवन की वह सच्चाई भी समाई हुई है जो हमें अपने उत्साह और खुशियों के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। नृत्य मुद्राओं, भाव-भंगिमाओं और भावनाओं, रूप-सौंदर्य के साथ खुशियों की वह अभिव्यक्ति भी है जो नृत्य करने वालों से लेकर इसे देखने वालों के अंतर्मन में उतरकर उन्हें इस तरह झूमने को मजबूर कर देता है कि शरीर का रोम-रोम ही नहीं सारे अंग झूम उठते हैं। छत्तीसगढ़ की…
विशेष लेख : पंजीयन प्रक्रिया के सरलीकरण और रियायत से लक्ष्य से ज्यादा संग्रहित हुआ राजस्व
छत्तीसगढ़ के पंजीयन विभाग द्वारा अचल सम्पत्ति के अंतरण विलेखों के पंजीयन से स्टाम्प शुल्क एवं पंजीयन फीस के रूप में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1589.42 करोड़ राजस्व प्राप्त किया गया है, जो कि लक्ष्य 1500 करोड़ रूपए से 5.90 प्रतिशत अधिक रहा है। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए वित्त विभाग की ओर से निर्धारित राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य 1650 करोड़ रूपए है। अब तक 714.57 करोड़ रूपए राजस्व प्राप्त हुआ है, जो की गत वर्ष की इसी अवधि की राजस्व प्राप्ति 496.58 करोड़ रूपए की तुलना में 44…