रायपुर(बीएनएस)। वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से जहाँ देश व्यापी बेरोजगारी की दर में बढ़ोत्तरी हो रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गयी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की जारी ताजा रिपोर्ट में प्रदेश की बेरोजगारी दर 12 महीने के सबसे निचले स्तर पर 3.4 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर (23.5 प्रतिशत) से काफी कम है। सीएमआईई के द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर सितंबर 2018 में 22.2 प्रतिशत थी, जो घट कर अप्रैल 2020 में 3.4 प्रतिशत दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि लॉक डाउन के दौरान देश में औद्योगिक गतिविधियां बंद हैं, जिससे देश की आर्थिक हालात पर गहरा असर पड़ा है। देशव्यापी बेरोजगारी दर में भी बेतहाशा वृद्धि हो रही है। लेकिन इस महामारी के संकट में भी प्रदेश के लिए एक सुखद संकेत प्राप्त हुआ है। प्रदेश की बेरोजगारी दर में कमी दर्ज की गई है। इसका प्रमुख कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने और ग्रामीणों की आजीविका को संरक्षित करने के लिए देश में लागू लॉकडाउन के दौर में व्यापक स्तर पर काम कर रही है। लॉकडाउन में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में अभी 18 लाख 51 हजार 536 श्रमिक काम कर रहे हैं।
वहीं, लॉकडाउन की अवधि में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत लॉकडाउन की अवधि में अब तक 900 करोड़ रूपए की राशि उनके खातों में अंतरित की जा चुकी है। इस अवधि में किसानों को राज्य शासन द्वारा खेती-किसानी के लिए आवश्यक छूट के साथ ही उनके उत्पाद के विक्रय की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से जहाँ देश व्यापी बेरोजगारी की दर में बढ़ोत्तरी हो रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गयी है।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 1, 2020
आरबीआई ने भी छत्तीसगढ़ में कोरोना संकट के दौरान किये जा रहे प्रयासों को सराहा है तथा अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में आर्थिक विकास की दर को अन्य विकसित राज्यों की तुलना में काफी अच्छा बताया है।
Chhattisgarh's unemployment rate hit a 12-month low of 3.4% in Apr 2020, according to a survey conducted by the Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE)@bhupeshbaghel@HRDMinistry@DrRPNishank@DPRChhattisgarh#cgfightscoronahttps://t.co/ThIMthYZq8
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) May 1, 2020
इस दौरान प्रदेश में वनोपज संग्राहकों को भी काफी राहत प्रदान की गई है। महुआ फूल का समर्थन मूल्य 18 रुपए प्रतिकिलो से बढ़ाकर 30 रुपए किया गया है। प्रदेश में 23 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। लघु वनोपजों की संग्रहण कार्य में भी वनवासियों को रोजगार के अवसर मिले हैं। लॉकडाउन के कारण संकट की इस घड़ी में सरकार द्वारा लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और नगद भुगतान की प्रक्रिया से वनांचल के वनवासी-ग्रामीणों को काफी राहत मिल रही है। “द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया” (ट्राईफेड) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब तक 18 करोड़ 63 लाख रूपए से अधिक मूल्य की लघु वनोपजों की वनवासियों और ग्रामीणों से खरीदी की गई है, जो देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक है। छत्तीसगढ़ के अलावा केवल दो राज्यों झारखण्ड और ओडिशा में लघु वनोपज की खरीदी का काम प्रारंभ हुआ है। ट्राईफेड के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अब तक 18 करोड़ 67 लाख 26 हजार रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, इसमें से अकेले छत्तीसगढ़ में 18 करोड़ 63 लाख 82 हजार रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है।