रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय में पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम की स्थिति की गहन समीक्षा की। उन्होंने कोरोना संकट काल में राज्य में स्कूली बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए शुरू किए गए पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम की सफलता एवं देश में इस कार्यक्रम को सराहे जाने पर प्रसन्नता जताई। बैठक में स्कूल शिक्षा मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम सहित मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डाॅ. आलोक शुक्ला, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, संचालक लोक शिक्षण जितेन्द्र शुक्ला, उप सचिव सौम्या चैरसिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम की शुरूआत लाॅकडाउन के दौरान स्कूली बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते 7 अप्रैल को की थी। शुरूआती दौर में यह कार्यक्रम ऑनलाइन संचालित होता रहा, लेकिन राज्य के ग्रामीण एवं सुदूर वनांचल क्षेत्रों में इंटरनेट एवं एंड्राइड मोबाइल की सुविधा के अभाव को देखते हुए इस कार्यक्रम का विस्तार किया गया और ऑफलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए पढ़ई तुंहर पारा एवं बुल्टू एप्प की भी शुरूआत की गई। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों को घर बैठे शिक्षा उपलब्ध कराने के राज्य शासन के प्रयासों को प्रधानमंत्री एवं नीति आयोग सहित शिक्षाविदों एवं गणमान्य लोगों ने सराहते हुए राज्य की इस पहल को अनुकरणीय कहा है।
बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डाॅ. आलोक शुक्ला ने बताया कि पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के लिए तैयार किए गए वेबपोर्टल को शानदार प्रतिसाद मिला है। अब तक 29 करोड़ से अधिक बार इसका पेज व्यू हुआ है। इस कार्यक्रम के तहत 2 लाख 2 हजार 45 शिक्षक तथा 23 लाख 13 हजार 130 विद्यार्थी विधिवत पंजीकृत हैं। अब तक राज्य में तीन लाख 69 हजार 672 कक्षाएं ऑनलाइन ली गई हैं। 45 हजार से अधिक शिक्षकों ने इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। ऑफलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के तहत अब तक 31 हजार 792 पठन सामग्री अपलोड की गई है। पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के तहत शिक्षा उपरान्त बच्चों को होमवर्क भी दिए जाते हैं। अब तक एक लाख 50 हजार 743 होमवर्क की विधिवत जांच शिक्षकों ने की है और इस संबंध में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी किया है।
बैठक में जानकारी दी गई कि जिले के सुदूर वनांचल के गांव में जहां इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए पढ़ई तुंहर पारा क्लास ली जा रही है। 22 हजार 771 शिक्षक एवं शिक्षा संगवारी इसमें अपना योगदान दे रहे हैं। इससे 7 लाख 60 हजार 950 विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य में लाउडस्पीकर के माध्यम से भी पारों एवं मोहल्लों में 2241 स्कूल का संचालन 4237 शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में जशपुर जिले के पैकू शासकीय स्कूल के शिक्षक वीरेन्द्र भगत द्वारा मोटरसाइकिल में ब्लैक बोर्ड बांधकर गांव-गांव बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने की पहल की सराहना की गई है। नीति आयोग ने भी नारायणपुर और सुकमा जिले में कोरोना संकट काल में शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना की थी। बैठक में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डाॅ. शुक्ला ने पावरपाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा एवं पढ़ई तुंहर पारा कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।