विशेष लेख : जेनेरिक मेडिसिन, महंगी स्वास्थ्य सेवा के दौर में एक बड़ा वरदान

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 20 अक्टूबर 2021 को जेनेरिक दवा दुकान की श्रृंखला श्री धन्वंतरी मेडिकल स्टोर का शुभारंभ किया गया है। राज्य में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत करने की कड़ी में यह एक और नया कदम है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व मे स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन भी किया जा रहा है, जिसका लाभ राज्य के सभी लोग उठा रहे हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य को बेहतर करने हाट बाजार क्लीनिक योजना तथा शहरी क्षेत्र में मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं से लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें आसानी से मिल रही हैं जिससे लोग बेहद खुश हैं। इन योजनाओं से राज्य में ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में लेागों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।

श्री धनवंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना का उद्देश्य लोगों को सस्ती दवाईयां उपलब्ध कराना है। दवा बाजार में दो तरह की दवायें मिलती हैं एक ब्रांडेड और दूसरी जेनेरिक। जेनेरिक नाम दवाओं के रासायनिक नाम होते है। जो उसके केमिकल कंपोजिशन के आधार पर दिया जाता है। जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर तो पेटेंट हो सकता है किन्तु उसके एक्टिव कंपोनेंट पर पेटेंट नहीं होता। इसी कारण जेनेरिक दवाएं बिना किसी पेटेंट के बनायी जाती है। इसलिए ये ब्रांडेड दवाओं से सस्ती होती हैं। उदाहरण के तौर पर बुखार के लिए पैरासिटामोल की दवा दी जाती है, इसी पैरासिटामोल घटक को उपयोग में लाते हुए इसकी ब्रांडिंग करके विभिन्न कंपनियां इसे महंगे दामो पर बेचती है।

सरकार महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह सस्ती जेनेरिक दवाओं को सरकारी मेडिकल स्टोर के माध्यम से लेागों तक पहुंचा रही है। ये जेनरिक दवाईयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के ब्राण्डेड दवाईयों से कम नहीं होती। यह उतनी ही असरकारक है, जितनी कि ब्राण्डेड दवाईयाँ। गुणवत्ता मानकों की सभी प्रक्रियाओं से गुजारने के पश्चात् ही जेनेरिक दवाईयों को बाजार में उतारा जाता है। उनकी मात्रा (डोज), उनके साइड-इफेक्ट आदि सभी ब्रांडेड दवाओं के जैसे ही होते हैं अंतर केवल नाम का होता है। संपूर्ण विश्व मंे किसी भी दवा का जेनेरिक नाम एक ही होता है। बड़ी -बड़ी कंपनियां भी जेनेरिक दवाईयों का निर्माण करती हैं परंतु ब्रांडिंग न होने और विज्ञापन के अभाव में लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हो पाते हैं। मेडिकल स्टोर संचालक भी ज्यादा लाभ के चक्कर में सिर्फ ब्रंाडेड दवाईयां ही बेचते हैं। इस कारण से आम लोगों तक जेनेरिक दवाईयों की पहुंच नहीं हो पाती । परंतु अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रयासों सेये सस्ती दवाईयां लोगों को सुलभ करायी जा रही है।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा संचालित इन मेडिकल स्टोर्स में 251 प्रकार की जेनेरिक दवाईयां तथा 27 सर्जिकल उत्पाद की बिक्री अनिवार्य है। इसके अलावा वन विभाग के संजीवनी के उत्पाद, सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद और शिशु आहार आदि का भी विक्रय इन मेडिकल स्टोरों में किया जा रहा है। राज्य के वनवासियों द्वारा तैयार किये गये आर्गेनिक उत्पादों (संजीवनी के उत्पादों ) का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की अपील भी की गई है, जिससे आदिवासी लोगों के प्रयास को भी बढ़ावा मिल सके।

इस योजना के शुरू हो जाने से बुखार में उपयोेगी पैरासिटामॉल श्री धनवंतरी मेडिकल स्टोर से अब सिर्फ तीन रूपए 88 पैसे में उपलब्ध होगी जो कि बाजार में दस रूपए में आती है। इसी प्रकार शारीरिक कमजोरी में काम आने वाले 169 रूपए का मल्टी विटामिन सीरप सिर्फ 64 रूपए में मिलेगा। उल्टी-दस्त होने पर काम आने वाले 18 रूपए का ओआरएस सिर्फ सात रूपए में जनता को उपलब्ध हो सकेगी। इस योजना से आम नागरिकों विशेषकर गरीब एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर दवाईयों में होने वाले खर्च का बोझ कम होगा तथा उन्हें आधे से कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता की दवाईयां प्राप्त हो सकेंगी।

श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स को लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। मेडिकल स्टोर में दवा लेने आये महासमुंद के राजेश कुमार ने कहा कि पहले दिन उन्हें खरीदी पर 600 रूपए की बचत हुई । 1000 रूपये में आने वाली उनकी दवाई के बदले जेनेरिक मेडिसिन सिर्फ 400 रूपये मे आ गयी। बिलासपुर के नूतन चौक स्थित धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर की ग्राहक मीना अंगुरिया बीपी एवं हाई कोलेस्ट्राल की मरीज है। सुश्री अंगुरिया ने बताया कि वे हर महीने 3700 रूपए की दवाई खरीदती है। आज इस मेडिकल स्टोर में उन्हंे यह दवाईयां 1200 रूपए में मिली। इसी प्रकार अश्वनी कुमार तिवारी ने बताया कि उनकी पत्नी गीता तिवारी कैंसर की मरीज है। हर माह उनकी दवाईयों पर 8-10 हजार खर्च होता है। उन्हें इस मेडिकल स्टोर में 1460 रूपए की दवा 360 रूपए में मिली। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पूरी संवेदनशीलता के साथ गरीब व्यक्तियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है।

अंबिकापुर निवासी रमेश पटेल ने बताया कि वे हर माह बीपी की दवाई लेते है। दवाईयां सस्ती होने के कारण अब वे इस मेडिकल स्टोर से ही दवाईयां खरीदेंगे। उन्होंने कहा कि योजना का उन्हें काफी दिनों से इंतजार था। रायपुर के समता कालोनी निवासी नेहा प्रधान ने बताया कि उन्हें एलर्जी की 45 रुपये की दवा 16 रुपये में मिली और पूरी दवा जो अन्य दुकान में 550 रूपये की आती , वह सिर्फ 236 रूपए में मिली। एस के बनर्जी ने कहा कि शहर के मध्य में यह दुकान शुरू करने से लोगों केा काफी राहत मिलेगी। उन्हेांने बताया कि वे प्रतिमाह लगभग 2 हजार रूपए की दवाई खरीदते है। अब उन्हें इस जेनेरिक मेडिकल स्टोर से यह दवाई रियायती दर में मिल सकेगी। उन्होंन कहा कि सरकार के इस प्रयास से निश्चय ही सभी वर्गों के लोग लाभान्वित होंगे और आमजनों का दवाओं में होने वाले खर्च में काफी कमी आयेगी।

शासन द्वारा शुरूआती चरण मंे राज्य के 25 जिलों में 84 मेडिकल स्टोर का शुभारंभ किया गया है। इस योजना के तहत मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवाईयां 50 से 70 प्रतिशत कम कीमत पर उपलब्ध हांेगी । शासन की यह पहल महंगी होती जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच आम आदमी को काफी राहत पहुंचाने वाली है। प्रथम चरण में दुर्ग जिले में 15, जांजगीर-चांपा जिले में 15, धमतरी, कोरबा और रायगढ़ जिले में 6-6, राजनांदगांव मंे 5, बिलासपुर, कोण्डागांव, सुकमा और बीजापुर जिले में 3-3, रायपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, सूरजपुर और जशपुर जिले में 2-2, महासमंुद, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद, बेमेतरा, कबीरधाम, सरगुजा, बलरामपुर-रामानुजगंज, बस्तर, नारायणपुर, कांकेर और दंतेवाड़ा जिले में 1-1 मेडिकल स्टोर खोला गया है।

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