डिजिटल क्रांति के इस आधुनिक दौर में देश दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाते हुए छत्तीसगढ़ में भी आमजनता तक नागरिक सेवाओं को पहुंचाने, शासन प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और कसावट लाने जैसे कार्यों में सूचना प्रौद्योगिकी का कुशलता और दक्षता के साथ उपयोग किया जा रहा है। चाहे फलैगशिप योजनों की मानिटरिंग की बात हो या हितग्राहियों तक जानकारी और योजनाओं की राशि पहुंचाने का कार्य हो, छत्तीसगढ़ ने कुशलता के साथ आईटी के दूरदर्शिता पूर्ण उपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। कोरोना काल में भी विज्ञान की इस तकनीक का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन, जरुरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाने में किया गया।
कोरोना संकट काल कई चुनौतियां को लेकर आया, एक तरफ जहां लोगों तक नागरिक सेवाओं की डिलवरी की दिक्कत थी तो दूसरी ओर लोगों तक शासन-प्रशासन की योजनाओं और नीति-निर्देशों के साथ ही सही सूचनाएं पहुंचाना बड़ी चुनौती थी। लोगों तक ऐसे संकट काल में मदद और राहत के साथ ही लोगों को शासन प्रशासन पर भरोसा दिलाना की जरुरी था, इन सभी समस्याओं के निदान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने बखूबी काम किया। पिछले तीन सालों में समय-समय पर विभाग को राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। कोरोना संकट काल में जैसी परिस्थितियां थी, उनमें इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की और अधिक आवश्यकता महसूस की गई। चाहे बात किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में इनपुट राशि देना हो या गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी का भुगतान हो। पहले इन कार्यों में लोगों तक राशि पहुंचाने में काफी अधिक समय लग जाता था। लोगों को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता था लेकिन अब एक क्लिक में हितग्राहियों की राशि उनके बैंक खातों में पहुंचायी जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर कोरोना काल में स्कूली बच्चों की शिक्षा के लिए ‘पढई तुहंर दुआर’ जैसा पोर्टल शुरू किया गया, जिसकी देशभर में चर्चा हुई। इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लोगों को नागरिक सेवाएं पहुंचाने के लिए तेजी से इंटरनेट सुविधाएं देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इनटरनेट कनेक्टिविटी के लिए इन तीन सालों में राज्य के 4574 ग्राम पंचायतों को आप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क से जोड़ा गया है। इसके लिए 22406 किलोमीटर आप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क बिछाया गया है। इसके साथ ही लोक सेवा केन्द्रों, सामान्य सेवा केन्द्रों के नेटवर्क के माध्यम से आम नागरिकों को नागरिक सुविधाएं पहुंचायी जा रही है।
संकट काल में सूचना प्रौद्योगिकी का नागरिक सेवाओं की डिलवरी में जमकर उपयोग हुआ। आज यह एक अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। पिछले तीन सालों में 71 लाख से अधिक लोगों तक विवाह पंजीयन, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र, फटाका लाइसेंस, सिनेमा हाल लाईसेंस आदि के प्रमाणपत्र तैयार कर लोगों को आनलाइन उपलब्ध कराए गए हैं। गोधन न्याय योजना के लिए मोबाइल एप और वेबसाइट भी तैयार किया गए है। गोबर विक्रेताओं को आन लाइन राशि अंतरण, गोबर खरीदी और स्व-सहायता समूहों को लाभांश वितरण सहित विभिन्न कार्य सफलता पूर्वक किए जा रहे हैं। राज्य में अनुसूचित जनजाति वर्ग के सही आकड़े और तत्थ जुटाने के लिए जनजाति आधारित एटलस का निर्माण किया गया है।
पिछले तीन साल में विशेषकर कोरोना संकट काल में आम नागरिकों से सम्पर्क और शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी, समीक्षा के लिए स्वान परियोजना के माध्यम से 6145 ऑनलाइन बैठकों का आयोजन किया गया, वहीं मुख्यमंत्री सचिवालय में 1145 बैठकें सफलतापूर्वक आयोजित की गई। अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के डाटा एकत्र करने के लिए विशेष वेब पोर्टल और मोबाइल एप भी तैयार किया गया है। इसके माध्यम से पूरे राज्य में इन वर्गों के डाटा एकत्र किया जा रहा हैं। भौगोलिक सूचना प्रणाली टूल्स के माध्यम से कोविड-19 से पीडित मरीजों के आइसोलेशन और इससे जड़ी जानकारी एकत्र की गई। अस्पतालों में बेड की उपलब्धता, आवश्यक उपकरणों और दवाईयों की आपूर्ति आदि की व्यवस्था की गई।
कोरोना से बचाव को लिए सीजी टीका पोर्टल के जरिए टीका लगाने के लिए 18 से 44 वर्ष के नागरिकों का पंजीयन कर 12 लाख 17 हजार नागरिकों का टीकाकरण कराया गया। विद्यार्थी जीवन चक्र प्रणाली परियोजना के जरिए तकनीकी शिक्षा, आईटीआई, एस.सी.ई.आर.टी. और स्कूल शिक्षा विभाग के विद्यार्थियों को आनलाइन काउंसिलिंग की सुविधाएं उपलब्ध करायी गई, इससे 26 लाख 90 हजार अभ्यर्थी लाभान्वित हुए। पंचायतों तक शासन के निर्देश आदेश पहुंचाने और विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के लिए पंच नोटिस बोर्ड नामक मोबाइल एप भी तैयार किया गया है। इनमें एक लाख 10 हजार से अधिक सूचनाएं अपलोड की जा चुकी हैं।
राज्य की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजनाओं की मानिटरिंग के लिए सीजी कैम्प पोर्टल भी तैयार किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, गोधन न्याय योजना, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना, सहित सभी प्रमुख योजनाओं की मानिटरिंग की जाएगी। इस पोर्टल में नागरिकों को अपनी शिकायत दर्ज कराने की सुविधा भी दी गई है। परिवहन विभाग द्वारा एनआईसी के सहयोग से ड्राईविंग लाईसेंस बनाने का काम ऑनलाईन किया जा रहा है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के वाणिज्यिक वाहनों पर लगने वाले फिटनेस सर्टिफिकेट, वाहनों के पंजीयन और रोड टेक्स आदि ऑनलाईन जमा करने की सुविधा दी जा रही है।
* लेख – आनंद प्रकाश सोलंकी, जी.एस.केशरवानी