संवरती छत्तीसगढ़ की नगरीय व्यवस्था

रायपुर। प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। नागरिक सुविधाओं जैसे आवास, पर्यावरण, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में ढांचागत सुधार की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। नगरीय आवश्यकता और जरूरतों पर नई सरकार द्वारा तेजी से पहल की जा रही है। वार्ड कार्यालय योजना ,मोर जमीन मोर मकान योजना,स्वच्छता अभियान जैसे योजनाओं से नगरीय क्षेत्रों के निवासियों को सहुलियतें प्रदान की जा रही हैं। पौनी-पसारी सहित अनेक नवाचारी कदमों से नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने और कमजोर तबकों…

गोंडों के परम्परागत लोक नृत्य, जिससे अपनी भावना जनसामान्य तक पहुंचा प्रदर्शित करते थे आदिवासी समुदाय

आदिवासी समुदाय प्रकृति प्रेमी होते हैं। उनकी जीवनशैली सरल और सहज होती है। इसकी स्पष्ट छाप उनकी कला, संस्कृति, सामाजिक उत्सवों और नृत्यों में देखने को मिलती है। प्रकृति से जुड़ा हुआ यह समुदाय न केवल उसकी उपासना करता है, बल्कि उसे सहेज कर भी रखता है। ऐसा ही एक समुदाय गोंड़ जनजाति है। जिसकी कई उपजातियां हैं। जिनके रीति-रिवाजों में लोक जीवन के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। धुरवा जनजाति गोंड जनजाति की उपजाति है। धुरवा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर, दंतेवाडा तथा सुकामा जिले में निवास करती…

आदिवासी नृत्य की थाप पर थिरकेगा देश

छत्तीसगढ़ सहित देश-विदेश में इन दिनों नेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल को लेकर चर्चा जोरो में है। छत्तीसगढ़ की अनोखी आदिवासी संस्कृति -लोककला और यहां के पर्यटन को राष्ट्रीय पहचान देने राज्य सरकार बड़ा आयोजन 27 दिसंबर से राजधानी रायपुर में कर रही है। प्रदेश में पहली बार आयोजित किए जा रहे नेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल में देश के 25 राज्यों के साथ ही छः देशों के 13 सौ से अधिक कलाकार इसमें शामिल हो रहे है। इस आयोजन में बेलारूस, युगांडा, थाईलैण्ड, श्रीलंका, मालद्वीप, बांग्लादेश सहित छः देशों के आदिवासी…

छत्तीसगढ़ जीवन्त सांस्कृतिक परंपराओं से संपन्न राज्य

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य जीवन्त सांस्कृतिक परंपराओं से संपन्न है। राज्य सरकार ने एक वर्ष में यहां की संस्कृति और परम्पराओं की पहचान के लिए कई अहम फैसले लिए हैं । जिसमें अरपा पैरी की धार गीत को राज्य गीत घोषित किया जाना शामिल है । अब सभी सरकारी कार्यक्रमों और आयोजनों की शुरूआत राज्य गीत से करने निर्णय लिया गया है । राज्य शासन द्वारा 27 से 29 दिसम्बर तक राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया है । इस महोत्सव ने अब अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन का…

छत्तीसगढ़ वनोपजों वनवासियों की आय का महत्वपूर्ण साधन’ लघु वनोपजों के लिहाज से समृद्ध है छत्तीसगढ़

रायपुर। छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों के लिहाज से एक समृद्ध राज्य है। लघु वनोपजों का उत्पादन आम तौर पर वनों में विभिन्न प्रजाति के वृक्षों से होता है, इसमें मुख्यतः तेन्दूपत्ता, बांस, इमली, महुआ, गोंद, हर्रा, लाख, चिरौंजी, खैर, बबूल, साल बीज, चरौटा बीज, वन तुलसी, आम गुठली, नागर मोथा, आंवला फल, चार गुठली, कुसुम बीज, धवई फूल तथा बेल आदि आते हैं। लघु वनोपज वनों में रहने वाले वनवासियों के लिए प्राचीन काल से ही जीविकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है। वनवासी इन लघु वनोपज का उपयोग खाद्य पदार्थ…

युवाओं की प्रतिभा और कौशल निखारने हो रहा है, बेहतर प्रयास

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रतिभावान युवाओं की प्रतिभा निखारने और तकनीकी कौशल को बेहतर करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशन में कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल के मार्गदर्शन में तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा अनेकों प्रयास किए जा रहे है। औद्योगिक संस्थानों की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक संस्थाओं में शैक्षणिक सत्र 2019-20 से पुनरीक्षित पाठ्यक्रम लागू किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर सुगमता से प्राप्त हो रहे हैं। इसी शैक्षणिक सत्र से 14 नवीन…

(शिक्षक दिवस पर विशेष लेख) : आओ शिक्षक बनकर राष्ट्र निर्माण करें

रायपुर। देश के प्रथम उपराष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब वे भारत के राष्ट्रपति थे तब कुछ पूर्व छात्रों और दोस्तों में उनसे अपना जन्मदिन मनाने का आग्रह किया। उन्होंने विनम्रता दिखाते हुए कहा कि यह बेहतर होगा कि आप इस दिन को शिक्षकों के योगदान के तौर पर मनाए। इसके बाद 5 सितम्बर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हमारी जिंदगी में पहले शिक्षक होते हैं हमारे माता-पिता। आखिर सीखना-सिखाना…

विश्व आदिवासी दिवस सम्मान का प्रतीक

छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है। यहां के घने जंगल, पहाड़, नदियों से भरे पड़े हैं। इनकी मनमोहक छटाओं ने देश और विदेशों में अपना अनुपम छाप छोड़ा है। बस्तर में चित्रकोट, तीरथगढ़, तामड़ा घूमर, जैसे अनेक जलप्रपात है। दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी मंदिर, बारसूर में गणेश मूर्ति और अनेक प्राचीन मंदिर विरासत की एक पहचान है। जंगलों में वर्षो से बसने वाले भोले-भाले आदिवासी सरल और शांतिप्रिय होते है। यहां का इतिहास, लोक कला संस्कृति, नृत्य, वाद्य, श्रृंगार, चित्रकारी और कलाकृति विश्व विख्यात है। बस्तर का क्षेत्र अनेक खनिज संपदाओं…

आदिवासी समुदाय को जल, जंगल और जमीन से जोड़ने की सार्थक पहल

रायपुर। मूलनिवासियों को हक दिलाने और उनकी समस्याओं का समाधान, भाषा, संस्कृति, इतिहास के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 को जेनेवा शहर में विश्व के मूलनिवासी प्रतिनिधियों का ’प्रथम अंतर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस’ सम्मेलन आयोजित किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने व्यापक चर्चा के बाद 21 दिसम्बर 1994 से 20 दिसम्बर 2004 तक ’’प्रथम मूलनिवासी दशक’’ और प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मूल निवासी दिवस (विश्व आदिवासी दिवस) मनाने का फैसला लिया और विश्व के सभी देशों को मनाने के निर्देश दिए। भारत के…

भारत का ऐतिहासिक दिन-धारा 370 खत्म, अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक

15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआं। उसके बाद आज का दिन ऐतिहासिक है, जब कश्मीर से धारा 370 खत्म कर दिया गया। लम्बे समय से चल रहे विवाद अब खत्म कर दिया गया है, जिसमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक हो गया। सही कहा जाए तो भारत देश को पूरी आजादी आज ही मिली है। इस आजादी के लिए भारत के कितनों वीर जवानों एवं आम नागरिकों ने अपनी जान गंवाई है। धारा 370 के कारण पाकिस्तान हमेशा भारत को नुकसान पहुंचाते आ रहे थे। इस निर्णय…