रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी विश्व शांति का सपना देखते थे। वे एक अहिंसक समाज की रचना करना चाहते थे। हिंसामुक्त समाज का निर्माण गांधीजी का उद्देश्य था इसलिए गांधीजी युद्धों एवं परमाणु बमों के विरूद्ध थे। आज हमारे चारों ओर पहले से कहीं ज्यादा परमाणु बम, घातक मिसाइलें और राष्ट्रों के बीच टकराव विद्यमान है। वर्तमान परिस्थिति में गांधी जी पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं क्योंकि आग को पानी से बुझाया जा सकता है। नफरत और घृणा को प्रेम और सद्भाव से दूर किया जा सकता है। आज जब विश्व शांति पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें गांधीवादी विचार और उनके रास्ते की पहले से अधिक जरूरत है।
कल विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आयोजित "अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल ट्राइबल फेस्टिवल" में भाग लूंगा।
वैकल्पिक विकास मॉडल में आदिवासियों की भूमिका पर अपने विचार भी रखूँगा। pic.twitter.com/kH8F8dhxov
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 8, 2020
मुख्यमंत्री श्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए वैश्विक परिदृश्य और गांधी जी की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार के शुभारंभ सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। इसका आयोजन सोसायटी फाॅर इम्पावरमेंट द्वारा प्रोफसर एस. नारायण के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। यह वेबिनार 4 दिनों तक चलेगा। इसमें विश्व के विभिन्न देशों के गांधीवादी विचारक हिस्सा ले रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस वेबिनार का विधिवत शुभारंभ किया और अपने उद्बोधन में कहा कि गांधी जी की प्रासंगिकता पर चर्चा करने से अधिक महत्वपूर्ण है उनके बताये रास्ते पर चलने का प्रयास करना। उन्होंने कहा कि सत्य और अहिंसा पर अडिग रहना ही गांधी जी का सच्चा रास्ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका यह मानना है कि वर्तमान समय में बेहद खतरनाक हथियारों से घिरी दुनिया में गांधी जी का अहिंसक साहस बहुत ज्यादा प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी की प्रासंगिकता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, जब हम विश्व शांति पर चर्चा करते हैं क्योंकि गांधी जी की प्रासंगिकता वैश्विक है। उसे किसी एक देश तक सीमित नहीं किया जा सकता। गांधी जी दु्ःखी और पीड़ित मानवता का उद्धार चाहते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवता को सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता। मानवता एक वैश्विक संकल्पना है। यह राष्ट्र की सीमाओं से परे जाकर पूरी दुनिया को एकता के सूत्र में बांधती है। गांधी जी पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है। उनके जीवन का उद्देश्य संपूर्ण मानवता की भलाई रही है। उन्होंने कहा कि अगर कोई परम्परा के सद्गुणों को, उसके मूल्यों को और सत्य के आदर्श को लेकर आगे बढ़ता है तो वह कालजयी हो जाता है। गांधी जी इन अर्थों में किसी भी समय से परे है इसलिए उनकी प्रासंगिकता भी समय से परे है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर गांधी जी के पौत्र राजमोहन गांधी के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि आप ने किसी दूसरे देश में कोई ऐसा व्यक्ति देखा है जो 70 साल पहले मार दिया गया हो, लेकिन आम बातचीत में याद किया जाता हो। उन्होंने इस मौके पर बापू के लिए वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा कहे गए कथन ‘‘आने वाली पीढ़ियों को यकीन नही होगा कि ऐसा भी कोई व्यक्ति इस धरती पर आया था’’ का उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी के चपेट में है। विश्व के कई देश युद्ध के उन्माद में डूबे हैं, जब गरीबी, बेरोजगारी, भयानक मुनाफाखोरी से लेकर हिंसक प्रवृत्ति तक तमाम अमानवीय चुनौतियां पूरी दुनिया के सामने अपने सबसे विकराल रूप में मौजूद हों तब यह सवाल उठता है कि गांधीजी होते तो क्या सोचते, क्या कहते, क्या करते ? मुख्यमंत्री ने कहा कि शायद गांधी जी इलाज में असमानता के सवाल उठा रहे होते, शायद गांधी जी दुनिया के किसी कोने में परमाणु हथियारों के खिलाफ अनशन कर रहे होते, शायद गांधी जी संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष सभा को सम्बोधित करते हुए दुनिया को अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ा रहे होते या शायद गांधी जी दुनिया को धर्म के नाम पर झगड़ों से मुक्ति का रास्ता बता रहे होते, या शायद गांधी जी हिन्दुस्तान में माॅब लींचिंग की घटनाओं से आहत होकर उपवास पर होते।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारे देश में आज राष्ट्रवाद को लेकर बहुत चर्चा है। उन्होेंने कहा कि कुछ लोग जिनके पुरखों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था। आज सबसे बड़े राष्ट्रवादी बने घूम रहे हैं। ऐसे ही लोगों ने राष्ट्रवाद की प्रचलित परिभाषा को बिगाड़ कर सच के ऊपर एक झूठ का तानाबाना बुन दिया है। उन्होंने कहा कि सही मायने में इस देश में सबसे बड़े राष्ट्रवादी और राष्ट्र भक्त वह लोग हैं, जो आजादी की लड़ाई के महानायकों का सही अर्थों में सम्मान करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी का राष्ट्रवाद गहन मानवतावाद से निकला है। हमारा राष्ट्रवाद सभी भारतीयों की एकता और अखण्डता में विश्वास करने वाला राष्ट्रवाद है। हमारा राष्ट्रवाद इस देश के गरीब-गुरबा की सेवा का राष्ट्रवाद है। उन्होंने इस मौके पर गांधी जी के ग्राम स्वराज की अवधारणा का भी उल्लेख किया और कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने गांधी जी की अवधारणा को साकार करने प्रयासरत है। छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना, ग्रामीण जनजीवन को सुगम बनाने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण योजना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने प्रदेश की आम जनता को, शोषित, पिछड़े और वंचित लोगों को, गांव को ध्यान में रखकर विकास के माॅडल को अपनाने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ के विकास का यह ऐसा माॅडल है, जिसकी प्रेरणा स्रोत बापू हैं।
#विश्व_आदिवासी_दिवस पर आदिवासी समाज सहित सभी प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
हम छत्तीसगढ़ के लोग भाग्यशाली हैं जो हमारे प्रदेश में 32% आदिवासी समाज के रूप में एक गौरवशाली इतिहास, एक समृद्ध भाषा और एक अद्भुत संस्कृति यहाँ हमारा गौरव बढ़ाती है।
जय आदिवासी!
जय छत्तीसगढ़ pic.twitter.com/BtKpVT3aXY— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 9, 2020
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश सरकार की गोधन न्याय योजना का भी जिक्र किया और कहा कि गांधी जी का यह मानना था कि उनके लिए गोरक्षा का अर्थ गाय की रक्षा से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की बहुउद्देशीय गोधन न्याय योजना गांधीजी को एक पावन श्रद्धांजलि है। इस योजना ने गाय और गोवंश को फिर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे विकास का माॅडल वही हो जिसकी कल्पना गांधीजी ने की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मार दिए जाने के लगभग आठ दशकों के बाद भी…
बापू जिन्दा है हमारी चेतना में, हमारे गांव में, हमारी गलियों में।
बापू जिन्दा है अपने विचारों के साथ।
बापू जिन्दा है दुनिया को प्रेम, सच्चाई, सर्वधर्म समभाव, सहिष्णुता और शांति का पाठ पढ़ाने के लिए।