रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर एवं ऑक्सफैम इंडिया द्वारा लैंगिक समानता के लिए आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों के साथ समानता के अवसर मिलने पर लैंगिक समानता की दिशा में तेजी से बढ़ा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति में जनजाति संस्कृति का गहरा प्रभाव रहा है। जनजाति संस्कृतियों में महिला और पुरुष की लैंगिक समानता पर अधिक जोर होता है। इस तरह से छत्तीसगढ़ के समाज में महिलाओं और पुरुषों की बराबरी का सुंदर भाव आया है। इसके बावजूद भी सूक्ष्म अवलोकन किया जाए तो कहीं न कहीं थोड़ी कमी जरूर नजर आती है, जिसे दूर किए जाने की जरूरत है, जैसे टोनही प्रथा को ही लें, समाज में कुछ महिलाओं को टोनही कह कर प्रताड़ित किया जाता है , वहीं महिलाओं का काम करने वाले पुरुषों की भी आलोचना की जाती है। इस तरह के लिंग भेद आधारित व्यवस्था को भी बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता की दिशा में जितना तेजी से कदम रखेंगे, समाज का विकास उतनी ही तेजी से बढ़ेगा।
शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में समानता के अवसर से बढ़ेगी लैंगिक समानता: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और ऑक्सफैम इंडिया द्वारा आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में शामिल हुए मुख्यमंत्री@bhupeshbaghel pic.twitter.com/6BXjcC1MnH
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) November 15, 2021
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से अवसर प्रदान करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों का गठन, उनको विशेष रूप से प्रोत्साहन और बढ़ावा दिया जा रहा है। महिलाओं को अपने घरों में और बाहर भी अधिकार मिले और उनके अधिकार सुरक्षित रहें, इसके लिए समुचित प्रयास किए गए हैं। शासन का पूरा जोर इस बात पर है कि आर्थिक रूप से महिलाएं सशक्त हों। आर्थिक रूप से स्वावलंबी महिलाएं ही सामाजिक रूप से मजबूत होती है। आर्थिक सशक्तिकरण ही महिलाओं को सशक्त करने का सबसे बड़ा माध्यम है। मुख्यमंत्री अपने भिलाई-3 स्थित निवास से इस वेबिनार में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने जनांकिकी के आंकड़ों से भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि देश की तुलना में छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात बहुत बेहतर स्थिति में है। इससे पता चलता है कि महिलाओं को लेकर छत्तीसगढ़ में वैसे पूर्वाग्रह नहीं है, जैसे दूसरे राज्यों में है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे हमारे जनजाति समाज और हमारे सामाजिक सांस्कृतिक परंपराओं का गहरा योगदान है। इसे मजबूत करने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं को सहेज कर, समृद्ध कर हम लैंगिक समानता की दिशा में भी निरंतर आगे बढ़ सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कामकाजी महिलाओं को सुविधा हो, इसके लिए हॉस्टल बनाये जा रहे हैं। सुपोषण अभियान तथा दाई दीदी क्लीनिक आदि पहल से लैंगिक समानता को मजबूत करने विशेष पहल की गई है।