रायपुर। प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। नागरिक सुविधाओं जैसे आवास, पर्यावरण, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में ढांचागत सुधार की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। नगरीय आवश्यकता और जरूरतों पर नई सरकार द्वारा तेजी से पहल की जा रही है। वार्ड कार्यालय योजना ,मोर जमीन मोर मकान योजना,स्वच्छता अभियान जैसे योजनाओं से नगरीय क्षेत्रों के निवासियों को सहुलियतें प्रदान की जा रही हैं। पौनी-पसारी सहित अनेक नवाचारी कदमों से नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने और कमजोर तबकों को राहत देने के कार्य किये जा रहे हैं। इसके साथ ही नगरीय बसाहटो के उन्नयन के लिए कई नए निर्णय लिए गए हैं।
नगरीय क्षेत्रों में समस्त शहरी गरीब परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश में राजीव गांधी आश्रय योजना के द्वारा भूमि पट्टा के नियमितीकरण के साथ ही नए पट्टों का वितरण का कार्य किया जा रहा है। साथ ही आवास की उपलब्धता मोर जमीन मोर मकान योजना द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। इसमें एक लाख शहरी गरीब परिवार सीधे लाभान्वित हो रहे हैं। मोर जमीन मोर मकान योजना के अंतर्गत नगरीय क्षेत्रों में कुल 1.60 लाख परिवारों को उनके काबिज स्थल पर ही स्वयं के द्वारा आवास निर्माण के लिए 2.29 लाख रूपए का अनुदान चार किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में दिया जा रहा है। इस योजना में 10 माह की लघु अवधि में ही 40000 मकान निर्मित किये गए हैं। मोर आवास मोर चिन्हारी योजनांतर्गत 65 हजार 783 बहुमंजिले फ्लैट्स का निर्माण दु्रतगति से किया जा रहा है।
नगरीय निकाय में मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना एक परिवर्तनकारी योजना साबित हुई है। इसके द्वारा विकेंद्रीकृत प्रणाली को सुनिश्चित किया गया है। अब मोहल्ले तक सरकार की गहरी पहुंच सुलभ हुई है। शहरी क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना लागू की गई है। इस योजना द्वारा लाखों परिवारों की चौखट तक चलित अस्पताल की पहुंच संभव हो सकी है।
स्थानीय छत्तीसगढ़ी संस्कृति एवं विलुप्त होती हुई स्थानीय परंपराआंे को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समस्त 168 नगरीय निकायों में पौनी पसारी योजना प्रारंभ की गई है। जिसमें प्रति इकाई तीस लाख की लागत से कुल 255 पौनी पसारी बाजारों का विकास किया जा रहा है। शहरी रोजगार के क्षेत्र में पौनी-पसारी योजना एक सफल योजना साबित हुई है। बड़ी संख्या में लोग इससे प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना के द्वारा परंपरागत व्यवसायों को सुदृढ़ता प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है। जिससे प्रदेश की इस परंपरा से संबंधित 12 हजार 240 परिवारों के लिए रोजगार के नवीन अवसरों का सृजन हुआ है।
छत्तीसगढ़ सरकार समावेशी विकास की संकल्पना को सभी क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सभी ढांचागत क्षेत्रों में सुविधा को विस्तृत किया जा रहा है। शहरी गरीब वर्ग तक बिजली, पानी, सड़क, आवास, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य आदि की पहंुच सुनिश्चित की जा रही है। जिससे शहरों की स्थिति अच्छी हो रही है।
राज्य सरकार द्वारा नगरीय निकायो में नियमों-कानूनों एवं नगरीय व्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन का दौर प्रारंभ किया गया है।इसी का परिणाम है कि महापौर-अध्यक्ष की 25 साल की आयु सीमा कम करके 21 साल किया गया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय से युवा शक्ति के लिए नेतृत्व क्षमता का अवसर सृजित किया गया है। जनप्रतिनिधियों को एक बार फिर से वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए हैं। दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की ओर कदम बढ़ाते हुए नगरीय निकाय में एल्डरमैन का पद आरक्षित किया गया है।
नगरीय क्षेत्रों में जमीनों के नामांतरण एवं व्यपवर्तन प्रक्रिया का सरलीकरण कर व्यपवर्तन के संपूर्ण अधिकार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को दे दिया गया है। इसके अलावा 7500 वर्गफुट तक की अतिक्रमित नजूल भूमि के नियमितीकरण का अधिकार कलेक्टर को प्रदान किया गया है। शहरी क्षेत्र में कॉलोनी निर्माण हेतु अनुमति के लिए समय सीमा के लिए एकल खिड़की प्रणाली की सुविधा लागू की गई है।
गरीय निकाय की सभी सेवाओं को ऑनलाइन प्रदान करने हेतु ई-गवर्नेंस परियोजना प्रारंभ की गई है। सभी नगरी निकायों को टैंकर मुक्त करने का निर्णय लिया गया है। जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निकायों में अमृत मिशन अंतर्गत निःशुल्क नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले 9 शहरों में 1900 करोड़ रूपए तथा एक लाख से कम जनसंख्या वाले 12 शहरों में 190 करोड़ रूपए के लागत से पेयजल आवर्धन योजनाओं का कार्य द्रुत गति से कराया जा रहा है। प्रदेश में प्रति वर्ष गिरता भूगर्भ जल स्तर चिंता का विषय है। इसके लिए रेन वाटर हार्वेटिंग कराया जाना एक महत्वपूर्ण विकल्प है। नगरीय क्षेत्रों में इसके लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
नगरीय स्वच्छता में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग विशेष रूप से प्रयासरत है। नगरीय प्रदूषण की समस्या निपटाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे है। खासतौर पर बड़े नगरों को ध्यान केन्द्रित कर कार्यक्रम तय किए गए है। परिवेशीय वायु गुणवत्ता की सतत् निगरानी के लिए एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशन स्थापित किए गए है। रायपुर, कोरबा, भिलाई को वायु गुणवत्ता आधार पर नान अटेंनमेंट सिटी के रूप में चिन्हित किया गया है। परिवेशीय वायु गुणवत्ता सुधार हेतु विभागीय समन्वय द्वारा एक्शन प्लान तैयार किया गया है। ऑक्सीजोन निर्माण कर वायु गुणवत्ता बेहतर करने की दिशा में एक प्रयास किया गया है। नॉन रिसाईकेबल कचरे के सुरक्षित एवं वैज्ञानिक रीति से निपटान हेतु सीमेंट संयंत्रों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्रों मंे लागू मिशन क्लिन सीटी योजना का पृथकीकरण पर आधारित सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल सम्पूर्ण देश मंे प्रसिद्ध हुआ है। जिसे ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा बेस्ट प्रेक्टिस निरूपित किया गया है। इससे पूरे प्रदेश में स्व-सहायता समूह की 9 हजार महिला सदस्यों के लिए रोजगार के नवीन अवसरों का सृजन हुआ है। देश के अन्य प्रदेशों में भी इसी मॉडल को लागू किया जा रहा है। इसी मॉडल के आधार पर स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 मंे छत्तीसगढ़ प्रदेश को प्रथम रेंकिंग प्राप्त हुई है। राज्य सरकार द्वारा एसएलआरएम आधारित इस मॉडल के सुदृढ़ीकरण के लिए निरंतर कार्यवाही की जा रही है।
एक महत्वपूर्ण योजना मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना की शुरुआत है। यह कार्याें की विकेन्द्रीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है। वार्ड कार्यालय लोगों की विभिन्न समस्याओं का समाधान करेगी जिनमें स्वच्छता, जलापूर्ति, पर्यावरण, स्ट्रीट लाइट आदि समस्याएं शामिल है। अब समय सीमा में एक छत के नीचे इन जन समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। निकायों में स्ट्रीट लाइटों को एलइडी लैंपो से प्रतिस्थापित कर ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। इन सब पर कड़ी मॉनिटरिंग के लिए निदान 1100 टोल फ्री नंबर की सुविधा हफ्ते के सातों दिन उपलब्ध होगी। हर गृहस्थ को 400 यूनिट तक बिजली हॉफ करके राहत की रोशनी प्रदान की जा रही है इसके लिए राज्य सरकार प्रतिवर्ष 300 करोड़ खर्च कर रही है।
यातायात सुधार अंतर्गत चालक लाइसेंस हो या पब्लिक ट्रांसपोर्ट के परिचालन मुद्दे सभी क्षेत्रों में युक्तियुक्त उपाय किए जा रहे है। आगामी 3 वर्ष में यातायात दुर्घटनाओं में कमी लाने हेतु लक्ष्य निर्धारित किए गए है।
नगरीय क्षेत्रों के स्वच्छता एवं स्वास्थ्यवर्धन के लिए प्रदेश सरकार ने विभिन्न नीतियां बनाई है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां 20 लाख तक की स्वास्थ्य सुविधा प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। युनिवर्सल हेल्थ स्कीम के अंतर्गत विभिन्न स्वास्थ्य इकाइयों का उन्नयन किया जा रहा है। राज्य के सभी नागरिकों को बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
मीजल्स, रूबेला, रोटावायरस का टीकाकरण कार्य प्रारंभ किया गया है। 900 से अधिक नर्सों की भर्ती की जा रही है। संस्थागत प्रसव में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 24 घंटे सेवा प्रदान करने की शुरूआत की गई है। राज्य में स्कूलों के हजारों विद्यार्थियों का नेत्र परीक्षण कर दृष्टिदोष वाले बच्चों को निःशुल्क चश्मों का वितरण किया जा रहा है।
नगरीय क्षेत्रो में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विभिन्न उपायों पर काम कर रही है। शिक्षा को रुचिकर बनाने नई तकनीको का प्रयोग शुरु किया गया है इसे ब्लैक बोर्ड से की-बोर्ड अभियान कहा गया है।पहली बार प्रदेश के 4330 हाई-स्कूल तथा हायर-सेकण्डरी स्कूलों में सूचना प्रौद्योगिकी आधारित ई-क्लास रुम एवं लैब की स्थापना की जा रही है। आधुनिक तकनीक से उच्च गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा देने का इंतजाम का प्रावधान है। दीक्षा मोबाइल एप में सारी ई-सामग्री और पाठ्य पुस्तक समाहित की जायेंगी। साथ ही स्कूली शिक्षा को नियमित और व्यवस्थित करने के उद्देश्य से शिक्षाकर्मियों के वेतन भुगतान को भी नियमित किया गया है।
ज्य में दो दशक बाद नई पीढ़ी की अच्छी शिक्षा के साथ सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाने 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती की जा रही। छोटे बच्चों को स्थानीय भाषा में सामग्री उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। शिक्षकों की क्षमता विकास हेतु ’शिक्षक प्रशिक्षण’ प्रबंधन प्रणाली लागू की गई है। सभी शालाओं में सुरक्षा हेतु शाला सुरक्षा योजना लागू की गई है। सभी प्रारंभिक शालाओं में किचन गार्डन की व्यवस्था की जा रही है। दो हजार शालाओं में सोलर पैनल लगाने की योजना है।
राज्य सरकार की दूरदर्शिता है कि उसने मध्यान्ह भोजन में एवं आंगनबाड़ी में पोषक पदार्थों का वितरण सुनिश्चित किया है। प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रोटीन युक्त पोषण के लिए चना, फल, अण्डा आदि सामग्री वैकल्पिक रूप से उपलब्ध कराने की नई शुरूआत की गई है। वजन त्यौहार के तहत इस वर्ष आंगनबाड़ी केन्द्रों में 6 माह से 5 वर्ष के आयु तक बच्चों का वजन लेकर पोषण स्तर का आंकलन किया गया है। राज्य सरकार ने कुपोषण छत्तीसगढ़ छोड़ो का नारा दे कर कुपोषण-एनीमिया के खिलाफ सीधी जंग छेड़ी है। कुपोषण की समस्या बच्चों की शिक्षा को बुरी तरह प्रभावित करती है। इस कारण सुपोषण अभियान चलाकर बच्चों एवं महिलाओं को पोषक पदार्थ युक्त भोज्य पदार्थ जैसे अंडा, भुना हुआ सोयाबीन, बादाम चिकी, चना प्रदान किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने 12वीं तक के सरकारी विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया है। यह निर्णय बच्चों के स्कूल न छोड़ने और शाला प्रवेश के प्रोत्साहित किया है।नई प्रक्रिया के तहत् पहली बार कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों का राज्य स्तरीय मूल्यांकन किया गया। संविधान में भी 14 वर्ष तक निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान है जबकि राज्य सरकार इससे भी एक कदम आगे बढ़ कर शिक्षा सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है।
प्रदेश सरकार नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के क्रम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए सरकार नवाचारों को प्रोत्साहन दे रही है। सरकार डिजिटल साक्षरता के कार्यक्रम आयोजित कर गढ़बो डिजिटल छत्तीसगढ़ को भी चरितार्थ कर रही है। राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था के उन्नयन के लिये प्रदेश में महात्मा गांधी जी के नाम पर उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय प्रारंभ करने का निर्णय लिया है।
रायगढ़ में स्व. नंदकुमार पटेल के नाम पर नए विश्वविद्यालय के स्थापना का अनुमोदन किया है। इसके साथ ही महाविद्यालयों में 1384 सहायक प्रध्यापकों की भर्ती भी की जा रही है। राज्य में खेल को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य के महाविद्यालयों में खेल गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है और खेल अधिकारियों की आवश्यकता को देखते हुए 61 खेल अधिकारियों की भर्ती की जा रही है। पाठ््यक्रम को अद्यतन करने की प्रक्रिया में देश में पहली बार नवा रायपुर में ’डाटा साइंस एण्ड आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस‘ पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।