विभिन्न भाषाएं और संस्कृति हमारे लिए वरदान : ’हमारी सांस्कृतिक विविधता’ विषय पर कार्यशाला सम्पन्न

रायपुर। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान शंकर नगर रायपुर में ’हमारी सांस्कृतिक विविधता’ विषय पर 11 दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षण में कक्षा पहली से बारहवीं तक अध्यापन करा रहे 60 शिक्षकों ने गुजरात, राजस्थान, पांण्डुचेरी, कर्नाटक, नागालैण्ड, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ ने सहभागिता की। यह आयोजन सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र नई दिल्ली के सहयोग से किया गया।

कार्यशाला में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् के संचालक पी.दयानंद ने कहा कि शिक्षकों को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सायकल का उपयोग करना होगा। स्वच्छ भारत अभियान के तहत डॉ. प्रदीप शर्मा ने वेस्ट मेनेजमेंट के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि प्लास्टिक का उपयोग बंद करना पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक है। रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के सेवानिवृत्त (डीन) डॉ. चितरंजन कर ने कहा कि ’शिक्षा व्यवसाय नहीं साधना है’, हमारे देश की विभिन्न भाषाएं और संस्कृति हमारे लिए वरदान है। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही देना चाहिए। ’छत्तीसगढ़ राजभाषा प्रयोग एवं संचरण’ विषय पर उन्होंने कहा कि भाषा व्यवहार में प्रयोग करेंगे तो भाषा स्वयं आगे बढ़ेगी, हम इसका प्रयोग करेंगे तो प्रभाव पड़ेगा। दुनिया में कोई भी भाषा कमजोर नही है। राजभाषा के प्रचार के लिए केन्द्र द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं। सचिव राज्य योजना आयोग डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि टेक्स से राजकोष से सहायता प्राप्त होती है। एक अच्छे सेवा प्रदाता के रूप में हम लोगों की आशा, आकांक्षा पर खरे उतर रहें हैं क्या ? शिक्षक तभी सफल होता है जब कक्षा के प्रत्येक बच्चे की समझ बन जाती है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति को केयर एवं कन्सर्ट होना चाहिए। स्वयं के लिए न सोचकर समाज के लिए सोचे। उन्होंने कहा कि एक चीज दूसरे चीज को कैसी प्रभावित करती है। इसके लिए हमें सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करनी होगी।

संस्कृति विभाग के उप संचालक राहुल सिंह ने कहा कि किसी भी प्रदेश की राजस्व आय कृषि पर आधारित होती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक धरोहर, छत्तीसगढ़ का नामकरण यहां की प्रमुख नदियां, मंदिर, सांस्कृतिक धरोहर आदि की जानकारी दी। अनिता सावंत ने स्कूली छात्राओं के बीच पर्यावरण जागरूकता पैदा करना के संबंध में प्रकृति में वृक्ष और पक्षियों की सुरक्षा के लिए बच्चों, अभिभावक एवं समाज के सभी व्यक्तियों को जागरूक करने का जोर दिया। खैरागढ़ विश्वविद्यालय के डॉ. कपिल सिंह वर्मा द्वारा कला एकीकृत शिक्षा-शिक्षक की भूमिका पर कला क्या है ? कला की उत्पति, कला का उद्देश्य, सृजन, कल्पना, कुशलता आदि पर विस्तार से चर्चा की। डॉ.नरेन्द्र ने भारत की स्वास्थ्य परंपराएं, डॉ. विभाष कुमार झा ने मीडिया की भूमिका पर व्याख्यान दिया।

कार्यशाला में आये सभी प्रतिभागियों को मुक्तांगन, जंगल सफारी, महंत घासीदास संग्रहालय, छत्तीसगढ़ विज्ञान केन्द्र का शैक्षणिक भ्रमण भी कराया गया। कार्यशाला में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् की अपर संचालक डॉ. सुनीता जैन, संयुक्त संचालक कुरूवंशी, प्रीति सिंह, डाइट के प्राचार्य एन.के.प्रधान, सरोज मिश्रा, डॉ. सुशील जैन, अपूर्व पंत, हरिसिंह और डीएलएड प्रथम वर्ष के छात्राध्यापक उपस्थित थे।

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.