रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेशवासियों विशेषकर आदिवासी समाज के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने आज यहां जारी अपने संदेश में कहा है कि जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति छत्तीसगढ़ की अनमोल धरोहर है। राज्य सरकार आदिवासियों की प्राचीनतम परंपरा, संस्कृति और जीवन मूल्यों को सहेजते हुए उनके विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है। यहां की करीब 31 प्रतिशत आदिवासी जनता और शेष आबादी के बीच की दूरी को कम करते हुए उन्हें मुख्य धारा से जोड़कर आगे बढ़ाने के लिए नए रास्ते खोले गए हैं।
श्री बघेल ने कहा कि जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने बीते ढाई साल में कई अहम फैसले लिये हैं। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति, 52 वनोपजों की समर्थन मूल्य में खरीदी, आदिवासी क्षेत्रों में नई प्रशासनिक इकाईयों का गठन, नई सडकें, हाट बाजारों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने जैसे कई प्रयास आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए किए गए हैं। उन्होंने कहा है कि मुझे खुशी है कि हमने तेजी से आदिवासियों के हितों के लिए निर्णय लिए जिससे उनका जीवन अधिक सरल हो सका है। हमने वन अधिकार पट्टों के माध्यम से हजारों आदिवासियों को जमीन का अधिकार देकर उन्हें आवास, और आजीविका की चिंता से मुक्त करने का प्रयास किया है। हमारी कोशिश है कि आदिवासी समुदाय तक सीधे सरकार की विकास योजनाएं पहुंचे और जल, जंगल और जमीन को लेकर उनकी चिंता दूर हो सके।
आज #विश्व_आदिवासी_दिवस के अवसर पर सभी प्रदेशवासियों विशेषकर आदिवासी समाज को बधाई एवं शुभकामनाएं।
जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति छत्तीसगढ़ की अनमोल धरोहर है। राज्य सरकार उनकी प्राचीनतम परंपरा, संस्कृति और जीवन मूल्यों को सहेजते हुए उनके विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। pic.twitter.com/2pgk3kssK0
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 9, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को नया आयाम देने के लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं। हमने छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित किया है। प्रदेश में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर में किया गया। देवगुड़ी और घोटुल के विकास और सौंदर्यीकरण की पहल की जा रही है। इससे सभी लोगों को आदिवासी समाज की परंपरा, संस्कृति और उनके उच्च जीवन मूल्यों को समझने का अवसर मिला है।