रायपुर। आज भारत ने चन्द्रयान पर सफलता अर्जित कर लिया है। हम एक ओर ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व कर रहें है। वही दुसरी ओर कुपोषण के मामले में भारत का प्रतिशत अन्य देशों की तुलना में अधिक है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ में कुपोषण एवं एनीमिया को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लिया गया है। वास्तव में कुपोषण नई पीढ़ियों के बुनियाद पर हमला करता है। कुपोषण हम सबके लिए चिंता का विषय है। आज दुनिया में किसी भी जंग से ज्यादा खतरा कुपोषण से है। मुख्यमंत्री का मानना है कि छत्तीसगढ़ में कुपोषण बड़ी समस्या है। इसलिए कुपोषण के खिलाफ अभियान बस्तर से शुरू कर दिया गया है। वहां डीएमएफ की राशि से पंचायतों मे ंगर्म भोजन की व्यवस्था की गई है। प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण व एनीमिया को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लिया गया है। सम्पूर्ण राज्य में यह महायज्ञ 02 अक्टूबर से प्रारंभ किया जा रहा है। जिसके तहत प्रदेश के कुपोषित एवं एनीमिया पीड़ितों को उनकी रूचि एवं शारीरिक आवश्कताओं के अनुरूप प्रतिदिन निशुल्क पोषण हेतु भोजन की व्यवस्था की जाएगी। प्रदेश सरकार द्वारा आगामी 03 वर्षाे में राज्य को कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त करा लेने का संकल्प लिया गया है। जिससे ‘‘स्वस्थ छत्तीसगढ़‘‘ के साथ ‘‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘‘ की कल्पना को साकार किया जा सके। सुपोषण अभियान केवल एक साधारण दायित्व नहीं हैं, बल्कि यह सब हम सबकी जिम्मेदारी एवं समावेशी भागीदारी भी है। इस कार्यक्रम की सफलता में जहां, जन-जन तक जागरूकता जरूरी हैं वहीं, अनिवार्य रूप से सबका सहयोग अपेक्षित है। एनीमिया और कुपोषण जैसी समस्याओं के निदान के लिए शिशुवती माताओं को तुरंत स्तनपान, हरी सब्जियां, फल, दुध आदि का सेवन बहुत ही लाभकारी है। हर बच्चे किशोर-किशोरी व गर्भवती महिला को निर्धारित पोषण आहार दिया जाना जरूरी है। आंगनबाड़ी एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता का क्षेत्र तभी कुपोषण मुक्त होगा जब वे इस अभियान में और अधिक सक्रिय भागीदारी निभायेंगी। सभी आकांक्षी जिलों में कुपोषण एवं एनीमिया मुक्ति अभियान संचालित किया जाएगा। इस अभियान के तहत कुपोषण और एनीमिया पीड़ितों को प्रतिदिन निःशुल्क पौष्टिक भोजन एवं तीन साल में प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके तहत ग्रामवार, विकासखण्ड वार कुपोषण एवं एनीमिया पीड़ित बच्चों और महिलाओं की संख्या संबंधी आंकड़े एकत्र किए जाएगें, कुपोषित एवं एनीमिया पीड़ितों को दिए जाने वाले भोजन का मेनु तैयार किया जाएगा। इस दौरान प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति भोजन पर संभावित व्यय की गणना, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रम में बच्चों, महिलाओं के भोजन पर किया जा रहा दैनिक व्यय, दैनिक मासिक एवं वार्षिक अतिरिक्त राशि की आवश्यकता, पर चर्चा होगी। कुपोषण मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए इसी कड़ी में- आओ बनाए कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त बेमेतरा विषय पर महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वाधान में कुपोषण की दर में कमी लाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। जिसके तहत ग्रामवार भोजन प्रदान करने वाली संस्था सक्रिय स्वसहायता समूह, ग्राम पंचायत अथवा अन्य किसी एजेंसी का चिन्हांकन, ग्राम में भोजन कराने के स्थान का चिन्हांकन, दो माह के पंचायतों को आवश्यक राशि का अन्तरण तत्पश्चात प्रत्येक माह की एक तारीख के पूर्व राशि का अन्तरण, मुख्यमंत्री सुपोषण निधि की स्थापना, दानदाताओं से सहयोग के लिए अनुरोध करने, स्वयंसेवी संस्थाओं, व्यावसायिक संगठनों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनकी जनभागीदारी सुनिश्चित करने के साथ जिला स्तर पर कार्य के औपचारिक शुरूआत की तैयारी के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि इस अभियान के लिए समस्त कार्यवाही पूर्ण करने, 2 अक्टूबर को ग्राम पंचायतों में आयोजित ग्राम सभा में समारोह पूर्वक योजना का शुभारंभ करने, योजना की सतत मॉनिटरिंग, प्राप्त जनसहयोग एवं प्रचार-प्रसार की व्यवस्था, योजना प्रारंभ होने के पश्चात प्रतिदिन भोजन करने वाले बच्चों एवं महिलाओं की संख्या का लेखा-जोखा रखना, ग्रामों में भ्रमण के समय अपने हाथों से हितग्रहियों को भोजन करवाना शामिल है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा की जाने वाली कार्यवाही में ग्राम में भोजन कराने के स्थान का चिन्हांकन, ग्राम भोजन प्रदान करने वाली संस्था जैसे महिला स्वसहायता समूह, रसोइया इत्यादि की व्यवस्था करना, खाना पकाने के लिए बर्तन, गैस चूल्हा, हितग्राहियों के खाने के लिए थाली-ग्लास, दोना-पत्तल, बैठने के लिए टाटपट्टी आदि की व्यवस्था करना एवं 2 अक्टूबर को ग्राम पंचायतों में आयोजित ग्राम सभा में समारोह पूर्वक योजना का शुभारंभ करना शामिल है, वहीं शिक्षा विभाग द्वारा 15 वर्ष से 18 वर्ष की शाला जाने वाली बालिकाओं को स्कूल परिसर में ही गर्म पौष्टिक भोजन ग्राम पंचायत के साथ समन्वय करते हुए प्रदाय करने की जिम्मेदारी दी गयी है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा छह माह से पांच वर्ष आयु के कुपोषित बच्चों की आंगनबाड़ी क्षेत्रवार सूची तैयार करना, स्वास्थ्य विभाग को एनीमिया जांच के लिए 15 वर्ष से 49 वर्ष की महिलाओं और छह माह से 59 माह के बच्चों की आंगनबाड़ी वार सूची उपलब्ध करवाना, गर्भवती महिलाओं और तीन से पांच वर्ष के कुपोषित बच्चों को ग्राम पचंायत के साथ समन्वय करते हुए आंगनबाड़ी केन्द्र में गर्म भोजन उपलब्ध कराना और इसका लेखा जोखा रखने के साथ-साथ सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय करने के निर्देश दिये गये हैं। महिलाओं को चावल, दाल, हरी पत्तेदार सब्जी, सोयाबीन, कुम्हड़ा, कच्चा पपीता, अकुंरित अनाज जैसे- चना, मटर, सलाद, गुड़, चना, रागी आदि का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस अभियान के संबंध में गांव-गांव में जन जागरूकता लायी जाएगी।
*छगन लोन्हारे