न्यूज डेक्स। खून एक शारीरिक तरल है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं,
आजकल के दौर में खानपान में काफी बदलाव आ चुका है, और इस खानपान के कारण शरीर में बहुत से विकार पैदा हो जाते हैं, जिनमे कमजोरी, आलस्य, थकान, अपच, कील मुंहासे आदि प्रमुख परेशानियां हैं, इन परेशानियों का वजह में शरीर में गंदगी का जमा होना, इसीलिए शरीर में जमा गंदगी को बाहर निकालना बेहद जरूरी होता है। आजकल बहुत से लोगों का डाइजेशन सिस्टम तो इतना कमजोर हो चुका है कि उन्हें मामूली चीजें भी पचाने में इक्क्तों का सामना करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में शरीर का कमजोर हो जाना स्वाभाविक सी बात है, लगभग 70 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनका पेट सुबह साफ नही होता है।
पेट की इन तकलीफों से छुटकारा पाने के लिए हरड़ का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है, आयुर्वेद में हरड़ में बहुत से औषधीय गुण होते हैं, इसमें कई तरह के एमिनो एसिड्स ओते हैं, जो आँतों, लिवर, किनी और खून को साफ करने में बहुत उपयोगी है।
हरड़ का सेवन करने के लिए इसका पाउडर तैयार कर लें, फिर 3-4 ग्राम हरड़ पाउडर दिन मे 3 बार सेवन करें, पेट से सम्बन्धित बीमारियों के लिए हरड़ पाउडर में शहद, घी और नमक मिलाकर सेवन करें, बवासीर और दस्त के लिए गुण के साथ और पेट, लिवर था खून की सफाई के लिए गुनगुने पानी के साथ हरड़ पाउडर का सेवन करें।