छत्तीसगढ़ के वनक्षेत्रों के नालों में पहली बार हो रहा है वैज्ञानिक पद्धति से भू-जल संवर्धन का काम : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में नरवा विकास योजना के अंतर्गत लगभग 208 करोड़ रूपए की राशि के 1089 नालों में भू-जल उपचार संबंधी संरचना निर्माण के कार्यों का शुभारंभ किया। इसके तहत उक्त नालों में 12 लाख 64 हजार 328 संरचनाओं का निर्माण कर 4 लाख 28 हजार 827 हेक्टेयर क्षेत्र में भू-जल संवर्धन तथा संरक्षण के कार्य कैम्पा मद से कराए जायेंगे।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस मौके पर कवर्धा वनमंडल के अंतर्गत जामझोरी नाला तथा रायगढ़ वनमंडल के अंतर्गत बंजारी नाला में नरवा विकास कार्य के शुभारंभ पर वनवासियों से चर्चा भी की। वनवासियों ने नरवा विकास कार्य को भू-जल संवर्धन एवं ग्रामीणों, पशुओं की निस्तार के लिए बेहद लाभदायी बताया एवं इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नरवा विकास कार्य में सहभागिता निभाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि नरवा विकास से गांव में निस्तार एवं सिंचाई की सुविधा सृजित होगी। यह कार्यक्रम ग्रामीणों एवं वनवासियों की बेहतरी के उद्देश्य से शुरू किया गया है। उन्होंने इसका भरपूर लाभ उठाने के लिए आव्हान किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने की।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आगे कहा कि राज्य में पहली बार जंगलों के अंतर्गत नरवा (नाला) के बहते जल को जगह-जगह रोकने और भू-जल संवर्धन, निस्तार व सिंचाई सुविधा में बढ़ोत्तरी के लिए वैज्ञानिक पद्धति को अपनाते हुए नरवा विकास का कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जो क्षेत्र में निवासरत लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। इससे वन क्षेत्रों में भी भू-जल संरक्षण तथा संवर्धन का कार्य होगा। इससे जंगलों का विकास तो होगा ही होगा साथ ही जंगलों में रहने वाले वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। नाले में पानी का भराव रहने से आसपास की भूमि में नमी बनी रहेगी। इससे खेती-किसानी और आय के स्रोत में वृद्धि होगी।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि जंगल समृद्ध होगा तो आदिवासी-वनवासी समृद्ध होंगे, तभी जंगल बचेंगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने वनक्षेत्रों एवं उससे लगे इलाकों में फलदार तथा लघु वनोपज आधारित पौधों का अधिक से अधिक रोपण पर जोर देते हुए कहा कि इससे वन क्षेत्रों में निवासरत लोगों को साल भर आमदनी होगी। वनवासियों का जंगलों से जुड़ाव बढ़ेगा और उसके संरक्षण और संवर्धन के लिए स्वयं आगे आएंगे। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस दौरान व्यक्तिगत अथवा सामुदायिक दोनों ही तरह के वन अधिकार मान्यता पत्र के तहत आवंटित भूमि में भी फलदार तथा वनोपज आधारित आम, आंवला, इमली, हर्रा, बेहरा, चार-चिरौंजी तथा महुआ जैसी पौधों के रोपण के लिए हितग्राहियों को प्रोत्साहित करने कहा। इसके तहत क्षेत्र में भूमि और जलवायु के अनुरूप पौधों का चयन कर लगाने के लिए निर्देशित किया। इसके तहत सेक्टर वाइस प्रजाति के चयन की तैयारी कर आगामी जून माह में वृक्षारोपण का कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इनमें क्षेत्र में उपलब्धता के आधार पर हर 10-15 गांवों के स्तर पर प्रसंस्करण केन्द्र खोलने पर भी विशेष बल दिया। इससे संग्राहकों को संग्रहण के साथ-साथ उसके प्रसंस्करण का भी अधिक से अधिक लाभ मिले। मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रत्येक वन मंडल में कम से कम एक-एक वनोपज आधारित उद्योग की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक निर्देश दिए।

इस अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में कैम्पा मद के अंतर्गत वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 में नरवा विकास योजना के अंतर्गत वृहद स्तर पर कार्य हुए हैं। इसके तहत लगभग 370 करोड़ रूपए की राशि से 25 लाख से अधिक भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इससे 313 जल ग्रहण क्षेत्र के एक हजार 995 नालों में स्टॉपडेम, चेकडेम, ग्लीप्लग, डाईक, लूज बोल्डर चेकडेम आदि संरचनाओं से 7 लाख 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र उपचारित होगा। इस दौरान संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी ने नरवा विकास योजना को क्षेत्रवासियों के लिए बहुत उपयोगी बताया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने संबोधित करते हुए नरवा विकास योजना में निर्मित संरचनाओं के तहत पानी का अधिक से अधिक संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित कर लोगों को भरपूर लाभ दिलाने के लिए विशेष जोर दिया। इस अवसर पर मुख्य सचिव आर.पी. मंडल, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, कैम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व्ही. श्रीनिवास राव तथा संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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