रायपुर। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में रहन-सहन और खेती-किसानी में सुराजी गांव योजना से बड़ा परिवर्तन आएगा, ऐसा मानना है हिमांचल प्रदेश से आए कलाकारों का। राजधानी रायपुर में चल रहे तीन दिनी राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हिमांचल प्रदेश के सुदूर अंचल से आए, इन कलाकार कृषि विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में विशेष रूचि दिखायी। इन कलाकारों ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में यह योजना बहुत कारगर है, इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए।
कलाकार चिमन लाल और हरीश ने योजना के तहत छत्तीसगढ़ में गोठानों में पशुओं को डे-केयर की सुविधा और यहां बायो गैस जैविक खाद में महिला समूहों को मिल रहे रोजगार की प्रशंसा की। इन कलाकारों ने बताया कि भारतीय कृषि व्यवस्था में पशुओं का आदिकाल से महत्व रहा है, ये हमारे संस्कृति के भी अंग हैं। गोबर से से बनी हुई वस्तुओं को आम जन जीवन में पवित्र माना जाता है। गोबर के दीये, गमले, और अगरबत्ती जैसे उत्पादों को लोगों ने हाथों-हाथ लिया है। गोबर से बने उत्पादों की बिक्री का बाजार पूरे देश में है।
कलाकारों ने कहा कि यह योजना किसानों को जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से निपटने के लिए सहायक है। यह योजना जल प्रबंधन और भू-जल को बढ़ाने में सहायक है। रासायनिक खाद की जगह अब जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल भी सराहनीय है। जैविक खाद के लिए मवेशियों को संरक्षित करना जरूरी है। चर्चा के दौरान इन कलाकारों ने फसल विविधिकरण पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि फल, सब्जी और मसाले उत्पादन के लिए भी यह योजना फायदेमंद रहेगी। कृषि विभाग के अधिकारियों ने इन कलाकारों को सुराजी ग्राम योजना के तहत राज्य में किए जा रहे कार्याें की विस्तार से जानकारी दी।