कुपोषण के जाल से बाहर आई बिंदिया, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से आया परिर्वतन

रायपुर(बीएनएस)। एकीकृत बाल विकास परियोजना दुर्ग (शहरी) के परिक्षेत्र-बोरसी अंतर्गत वार्ड क्रं.-48 उत्कल नगर दुर्ग अंतर्गत पिता लिंगराज एवं माता सरिता के घर तीन साल पहले 8 अक्टूबर को दूसरी संतान के रूप में एक स्वस्थ बालिका ने बिंदिया जन्म लिया। माता-पिता पुत्री के जन्म से प्रसन्न थे। लेकिन निम्न आय वर्ग से संबंधित होने के कारण जीविकोपार्जन हेतु बच्ची को उसके 5 वर्षीय बड़े भाई के साथ घर पर छोड़ कर जाने लगे, जिसके कारण बच्ची धीरे-धीरे कुपोषण का शिकार होंने लगी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत दुर्ग जिले में सुपोषण अभियान का शुभारंभ गांधी जयंती के दिन हुआ। योजना अंतर्गत कुपोषित बच्चों एवं एनीमिक महिलाओं को क्रमशः कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया। इसी योजना अंतर्गत बच्ची कुमारी बिंदिया को भी शामिल किया गया। उस समय उसका वजन 08 किलोग्राम था एवं बच्ची गंभीर कुपोषण का शिकार थी।

माह-नवंबर 2019 से आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्ची को सप्ताह में 05 दिन मुंगफली, सोया, गुड़ की चिक्की एवं एक दिन शनिवार को मौसमी फल का सेवन नियमित रूप से कराया गया। बाल संदर्भ योजना अंतर्गत बच्ची को लाभांवित कराते हुए मल्टी विटामिन, आयरन, कैल्शियम सीरप उपलब्ध कराया गया एवं स्व-सहायता समूह के द्वारा प्रोटीन पाउडर उपलब्ध कराया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता बाघ ने समस्त सामग्रियों का सेवन कुमारी बिंदिया को नियमित समय अनुसार कराना सुनिश्चित किया। कार्यकर्ता द्वारा बच्ची के माता-पिता को उसके पोषण स्तर में सुधार लाने एवं स्वास्थ्यवर्धक एवं स्वच्छ जीवन शैली अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया। परिक्षेत्र की पर्यवेक्षक श्रीमती सीमा मिश्रा द्वारा नियमित गृह भेंट कर बच्ची के वजन का अवलोकन किया गया था बच्ची को नियमित रूप से रात्रि के भोजन में अण्डे व दालों के उपयोग करने की समझाईश दी गई। इस तरह बच्ची कुमारी बिंदिया का माह-दिसंबर 2019 के अंत तक वजन 9.6 किलोग्राम हो गया और बच्ची कुपोषण से मुक्त होकर सामान्य श्रेणी में आ गई है।

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है एवं वर्तमान समय में दुर्ग जिले के 10104 कुपोषित बच्चों में से 2126 बच्चे सामान्य श्रेणी में आ चुके हैं। इस योजना अंतर्गत माताओं एवं बच्चों को अभियान के केन्द्र बिंदु में रखकर सुपोषण अभियान को सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से सुपोषित जन अभियान का रूप दिया गया है, जिसके अच्छे परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं।

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