रायपुर। छत्तीसगढ़ की जैव विविधता पूरे देश में प्रसिद्ध है यहां के वनांचल में वनोषौधियों का अकुत भण्डार है। आदिवासी अंचलों में परम्परागत चिकित्सों द्वारा इसका बड़े पैमाने पर उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा परम्परागत चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए टेªडिशनल मेडिसिन बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया गया है। साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देशी चिकित्सा पद्धतियों के स्टॉल भी लगाए गए हैं। इन स्टॉलों में परम्परागत चिकित्सकों (वैद्य) द्वारा लोगों का इलाज भी किया जा रहा है।
गढ़चिरौली महाराष्ट्र से आए अजमन राउत ने बताया कि उनकी रूचि आयुर्वेदिक औषधियों में है और यहां पर आने के बाद कई औषधियों के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने यहां विभिन्न जड़ी बूटियों से बने अर्क व काढ़ा भी खरीदा। यहां पर वैद्यराज द्वारा विभिन्न मर्ज के लिए तैयार की दवाएं उपलब्ध हैं। इसमें आमी हल्दी, चंदसूर मैदा, चोटमुरब्बा, जंगली प्याज, जंगली लहसून सहित विभिन्न प्रकार की जड़ीबुटियों से दवा तैयार की जाती हैै। मरीजों की आवश्यकता अनुसार दवाईयां तैयार कर दी जाती है। आयुर्वेदिक औषधियों के पास ही जैविक विधि से उत्पादित खाद्यान्न पदार्थों के स्टॉल में ब्लैक राईस, जिंक राईस, कोदो चावल सहित अलसी आदि की बिक्री भी हो रही है। स्वास्थ्य की दृष्टि से इन उत्पादों की मांग और बढ़ेगी।