मुख्यमंत्री ने शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक एवं मानव संग्रहालय का किया ई-शिलान्यास

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विश्व आदिवासी दिवस पर नवा रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन में 25 करोड़ 66 लाख रूपए की लागत से बनने वाले शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक एवं संग्रहालय का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ई-शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री बघेल अपने निवास कार्यालय से इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर आदिवासी समाज को बधाई और शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और नगरीय विकास मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, संसदीय सचिव शकुंतला साहू, चिंतामणि महाराज और जशपुर विधायक विनय भगत, राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन अनेक जनप्रतिनिधि, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल सहित अनेक प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में पुरखौती मुक्तांगन में बनने वाले स्मारक से आने वाली पीढ़ियां आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और शहीद वीर नारायण सिंह की वीर गाथा और देश के स्वाधीनता संग्राम में उनके योगदान से भली-भांति परिचित हो सकेंगी एवं उनकी शहादत पर गर्व की अनुभूति करेंगी। स्मारक के अलावा यहां राज्य स्तरीय मानव संग्रहालय भी बनेगा। इस संग्रहालय में प्रदेश की हजारों वर्षों में विकसित गौरवशाली सांस्कृतिक प्रतिमानों की विद्यमानता को सुनिश्चित करने के हर संभव प्रयास किये जाएंगे। यह संस्थान विलुप्तप्राय परन्तु बहुमूल्य सांस्कृतिक परम्पराओं के संरक्षण और पुनर्जीवीकरण हेतु प्रदर्शन, शोध और प्रशिक्षण के माध्यम से अन्य संस्थानों से संबंधों को बढावा देने का कार्य भी करेगा। यह संस्थान देश के विभिन्न राज्यों में समय के साथ सांस्कृतिक जीवन की विविधता प्रस्तुत करने, संरक्षित करने तथा संग्रहालय विज्ञान में यथोचित प्रशिक्षण और शोध के केन्द्र के रूप में कार्य करेगा। यहां प्रदर्शनियों और रचनात्मक क्रियाकलापों के माध्यम से हजारों वर्षों से पोषित देशज ज्ञान, परम्परा तथा मूल्यों, राज्य की पारंपरिक जीवन शैली की सुन्दरता को जीवंततापूर्वक प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय पारिस्थितिकी, पर्यावरण, स्थानीय मूल्यों, प्रथाओं इत्यादि के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध रहेगा।

मानव के विकास के क्रम, प्रागैतिहासिक और आघैतिहासिक काल में संस्कृति और समाज तथा विभिन्न समुदायों के पर्यावरण शिक्षा, जैव-विविधता के संरक्षण की पारंपरिक तकनीकों, जल प्रबंधन तथा अन्य संरक्षण तकनीकों को संरक्षित व प्रदर्शित करने एक मंच की तरह कार्य करते हुए इन्हें प्रचारित करेगा, जिससे भावी पीढ़ी हमारी इस सफलता का आंकलन कर सके। संग्रहालय में जनता के अनौपचारिक शिक्षा के केन्द्र के रूप में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाते हुए समुदायों को ज्ञान का महत्वपूर्ण स्रोत मानते हुए इसके प्रचार-प्रसार हेतु मध्यस्थ का कार्य करेगा। साथ ही विशेष कार्यक्रम और गतिविधियों का समय-समय पर आयोजन करने प्रयत्नशील रहेगा।

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