रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने कहा है कि शिक्षा गुणवत्ता के लिए बच्चों की बुनियाद मजबूत होना जरूरी है। बुनियाद मजबूत होगी तभी बच्चें आगे की कक्षा में पढ़ाई को समझ सकेंगे। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ शिक्षा गुणवत्ता की तैयारी में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी है। राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ राज्य प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के लिए विषय बार रूब्रिक्रस तैयार करने में छह माह और राज्य स्तरीय आकलन में एक वर्ष आगे है। श्री द्विवेदी आज रायपुर में आयोजित निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित की-रिसोर्स पर्सन्स और राज्य रिसोर्स पर्सन्स को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के लिए तैयार विषय बार रूब्रिक्रस का विमोचन भी किया गया।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने कहा कि छत्तीगढ़िया सबले बढ़िया केवल बातों से ही नहीं बल्कि नतीजों में भी दिखना चाहिए। यह नतीजे बच्चे ही लेकर आएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के सुदूर स्कूलों तक शिक्षकों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचे। प्रयास यह होना चाहिए कि जो पढ़ाया जा रहा है, बच्चे उसे अंगीकृत करने के साथ इसका उपयोग जीवन में भी करें। कक्षा में पाठ को सुनना, समझना और उपयोग करना बच्चे सीखें। शिक्षक बच्चों को कक्षा में अच्छे से समझाकर उसके उपयोग लायक बनाएं। श्री द्विवेदी ने कहा कि बच्चों को पढ़ाने और सिखाने के तरीके तो बहुत है, लेकिन इन्हें एक सूत्र में होना जरूरी है। छत्तीसगढ़ में राज्य स्तरीय आकलन ने शिक्षा गुणवत्ता को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया है। राज्य स्तरीय आकलन के आधार पर रूब्रिक्स तैयार किए गए है। उन्होंने कहा कि सभी लर्निंग आउटकम बच्चों को सिखाया जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि सभी बच्चे सभी लर्निंग आउट कम को समझ सके। शिक्षक बच्चों की कमजोरी को समझकर उसे दूर करें।
गौरव द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत देशभर में 42 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में भी राष्ट्रीय रिसोर्स पर्सन्स और विशेषज्ञों द्वारा 5 दिन तक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि हर राज्य की परिस्थिति और आवश्यकता अलग-अलग है। छत्तीसगढ़ भी अपनी आवश्यकता के अनुसार यहां प्रतिभागियों को दो दिन प्रशिक्षण देगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा राज्य स्तरीय आकलन विश्लेषण आधारित कक्षावार और विषयवार प्रशिक्षण माड्यूल तैयार किया गया है, जो सभी प्रतिभागियों को प्रदान किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में बच्चों के स्तर अनुसार प्रशिक्षण के लिए तैयार की गई किताबों को अच्छी तरह समझने पर ही बेहतर परिणाम सामने आएंगे। प्रशिक्षण के दौरान विषय विशेषज्ञ इसकी जानकारी देंगे। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद शिक्षकों को जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। श्री द्विवेदी ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य कक्षा के सभी बच्चों को समान स्तर तक पहुंचाना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिस प्रकार हम बच्चें को सायकल चलाना सिखाते है और जब वह सीख जाता है तब हमें खुशी होती है। उसी प्रकार कक्षा में हर बच्चेे को सिखाना है। श्री द्विवेदी ने कहा कि इसी प्रकार जब छोटा बच्चा किसी शब्द का प्रयोग अर्थ समझते हुए करता है तो पलको, शिक्षकों एवं हमें खुशी मिलती है।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा प्रशिक्षण की समन्वित कार्य योजना तैयार की गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बधेल की सरकार ने प्रदेश में 25 वर्षों बाद 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती का निर्णय लिया है। शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया बिना किसी बाधा के पूरी हो रही है। उन्होंने बताया कि नए शिक्षकों के लिए भी प्रशिक्षण की योजना तैयार की गई है। श्री द्विवेदी ने कहा कि पढ़ाने के तरीके तो बहुत है, लेकिन कक्षा में समय सीमित है। यह शिक्षकों को तय करना है कि वह बच्चों को किस प्रकार पढ़ाएं। इसके लिए सरल भाषा एवं प्रायोगिक तरीके से तैयार प्रशिक्षण सामग्री दी गई है। राज्य स्तरीय आकलन के आधार पर यह चिन्हांकन कर लिया है कि कौन-कौन से विषय में कौन-कौन से बच्चों को मदद की आवश्यकता है। यह स्थिति डायनेमिक है पर परमानेंट नहीं है। उन्होंने कहा कि हर बार आकलन करेगें तो हर बार नई-नई स्थिति सामने आएगी और आगे चलकर हमारा स्तर आगे बढ़ेगा। प्रशिक्षण में जितना अच्छा समझेगें उतने ही अच्छे तरीके से उपयोग कर पाएंगे।
इस अवसर पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की अतिरिक्त संचालक डॉ. सुनिता जैन, संयुक्त संचालक डॉ. योेगेश शिवहरे, केपीएमजी के संचालक चारू मल्होत्रा, उप संचालक करमन खटकर, किस्पोट्टा, लकड़ा, विद्या चन्द्राकर सहित स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।