रायपुर(बीएनएस)। राष्ट्रीय कृषि मेला का आयोजन राजधानी रायपुर के तुलसी बाराडेरा स्थित फल सब्जी उपमंडी प्रांगण में 23 से 25 फरवरी 2020 तक किया जाएगा। इस तीन दिवसीय मेले में किसानों को बहुत सी नई आधुनिक तकनीक की जानकारी मिलेगी। इस आयोजन में देश भर के हज़ारों किसानों के भाग लेने के मद्देनजर सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही है। बत्तीस एकड़ में फैले मेला स्थल पर कृषि उद्यानिकी, पशुपालन, मछलीपालन, ग्रामोद्योग विभाग से संबंधित प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। मेले में किसानों को कृषि और उनसे जुड़े विभिन्न गतिविधियों के उन्नत तकनीकों की जानकारी मिलेगी। इस मेले में कृषि उपज से संबंधित विभिन्न सामग्रियों की प्रदर्शनी सह बिक्री के स्टाल लगाए जाएंगे।
नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी का होगा जीवंत प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी पर आधारित जीवंत झांकी का प्रदर्शन मेले में किया जाएगा। इसमें योजना के लागू होने से पशुधन के संरक्षण, संवर्धन तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि के बारे में विस्तार से अवगत कराया जाएगा। साथ ही पशुधन से प्राप्त होने वाले गोबर तथा गो-मूत्र इत्यादि से तैयार की जाने वाली उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा कृषि उपज से संबंधित विभिन्न सामग्रियों, सुगंधित किस्मों के चावल, कोदो, कुटकी, दूग्ध महासंघ के विभिन्न उत्पाद, वनांचलों से चार, चिरौंजी, ईमली, शहद सहित वन विभाग द्वारा उप्तादित विभिन्न वनौषधि, महिला समूहों के द्वारा बनाई जा रही विभिन्न परम्परागत सामग्री प्रदर्शित की जाएगी।
एरेटर और एक्वेरियम हाउस
इस मेले में मछलीपालन विभाग द्वारा तालाब में मछलीपालन की नवीन तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदर्शनी स्थल पर मछली उत्पादन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करने वाले यंत्र एरेटर और एक्वेरियम हाउस का भी प्रदर्शन किया जाएगा। मछलीपालन विभाग के स्टॉल में मत्स्य कृषकों को ऋण अनुदान पर ऑटो, मोटरसायकिल तथा एरेटर भी वितरित किया जाएगा। एक्वेरियम हाउस में रंगीन मछलियां प्रदर्शित की जाएंगी।
डिजाईनर कोसा
रायगढ़ एवं चांपा के कोसा वस्त्र, कोसा साड़ी, कोसा धोती, कोसा शॉल, कोसा गमछा, कोसा स्टोल, कोसा दुपट्टा, कोसा रेडिमेड शर्ट, कोसा कुर्ता, कोसा ब्लाउज इत्यादि के साथ-साथ कॉटन के रेडिमेड शर्ट, कुर्ता, बैग इत्यादि का प्रदर्शन तथा विक्रय हाथकरघा संघ द्वारा किया जाएगा।
ग्राफ्टेड पौधे
राष्ट्रीय कृषि मेला में प्रदर्शित सब्जियों के ग्राफ्टेड पौधे आकर्षण के केन्द्र होंगे। मेले में किसान ग्राफ्टेड पौधों से खेती एवं पौध तैयार करने की तकनीक भी सीख सकेंगे। बैगन, टमाटर, आलू, मिर्च एवं अन्य ग्राफ्टेड सब्जियों में विशेष गुण होने के कारण इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। मेले में पौधों की बडिंग-ग्राफ्टिंग की जीवंत प्रदर्शनी भी लगायी जाएगी। ग्राफ्टेड सब्जियों के पौधे उद्यानिकी विभाग के स्टॅाल से प्राप्त किये जा सकते हैं।
जैम, जेली एवं अचार
उद्यानिकी विभाग के अंतर्गत रायपुर में फल परिरक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा निर्मित टमाटर सॉस, टमाटर प्यूरी, मिक्स फ्रूट जैम, ऑंवला-मुरब्बा, आंवला कैण्डी, आम अचार (खट्टा-मीठा), नीबू आचार, हरी मिर्च अचार, लाल मिर्च का अचार, आंवला अचार, लहसून अचार, गाजर अचार, अदरक/हरी मिर्च/लहसून आचार, इमली चटनी, जिंजर नेक्टर के उत्पाद मेला में उपलब्ध करायी जाएगी, ये उत्पाद विक्रय हेतु भी उपलब्ध रहेंगे।
शुगरकेन हार्वेस्टर
राष्ट्रीय कृषि मेला में नवीन कृषि यंत्र शुगरकेन हार्वेस्टर का प्रदर्शन किया जाएगा। शुगरकेन हार्वेस्टर की कीमत करीब 1 करोड़ रूपये है। इस मशीन को कस्टम हायरिंग हब में शामिल कर इकाई लागत का 40 प्रतिशत अनुदान का लाभ ले सकते हैं। किसान मेले में कृषि यंत्रों के स्टॉल में आवेदन दे सकते है। मेला स्थल पर इसकी बुकिंग कर सकते है। ये अनुदान बैंक के माध्यम से किसान को प्राप्त होगा। मेले में किसानों को कृषि उपकरणों के प्रदर्शन देखने के साथ-साथ क्रय करने और अनुदान लेने की सुविधा भी मिलेगी।
दुग्ध प्रसंस्करण तकनीक
राष्ट्रीय किसान मेला में कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के मार्गदर्शन में गठित कोरिया एग्रो प्रोड्यूसिंग कंपनी लिमिटेड के स्टॉल में दुग्ध प्रसंस्करण तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा। दूध से घी, खोवा एवं पनीर आदि उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। मेले में पशुधन उत्पादों का विक्रय भी किया जाएगा। कृषि मेले में पशुधन विकास से संबंधित विभिन्न उत्पादों को न्यूनतम मूल्यों पर बेचा जाएगा। इन उत्पादों में ए-2 दूध (बीटा केसिन प्रोलीन), देशी घी, बकरे (बीटल, सिरोही, बरबरी नस्ल), कड़कनाथ मुर्गा, बत्तख (खाकी, केम्पबेल, व्हाइट पैकिन), जापानी बटेर, खरगोश (चिनचिला कोट), देशी मुर्गी (बैकयार्ड), देशी मुर्गी अण्डा, बत्तख अंडा, गोमूत्र अर्क, गोनाइल, गोबर की मूर्ति सहित अनेक उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे।
अण्डे सेने के लिए इनक्यूबेटर
कृषि विज्ञान केंद्र कोरबा के स्टॉल में वहां के स्थानीय कृषक मनमोहन यादव द्वारा निर्मित कम लागत के इनक्यूबेटर को प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने महज डेढ़ हजार रूपये की लागत से अंडे सेने हेतु किफायती इनक्यूबेटर बनाया है। इनक्यूबेटर कम लागत का होने के साथ ही आकार में छोटा होने के कारण इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से लाया-ले जाया जा सकता है। इनक्यूबेटर में एक बार में 35 अंडे को सेने का कार्य किया जा सकता है। इनक्यूबेटर से 21 दिनों के भीतर अंडे से चूजे प्राप्त किया जा सकते हैं।