रायपुर(बीएनएस)। समेकित खाद्यान्न उत्पादन में भूमिका तथा पोषक तत्वों से भरपूर दलहनी फसलों की उपयोगिता व महत्ता को प्रदर्शित करने के लिए कृषि विभाग द्वारा 10 फरवरी 2020 को विश्व दलहन दिवस के रूप में मनाया गया। दलहन दिवस को महत्वपूर्ण बनाने के लिए कृषि विभाग द्वारा विकासखण्ड स्तर पर गौठान ग्रामों में किसान संगोष्ठियों का आयोजन कर किसानों को दलहनी फसलों खासकर उड़द, मूंग के मिनीकीट, कृषि यंत्र, मिनी दाल मिल तथा बायोफर्टीलाईजर का निःशुल्क वितरण किया गया।
राजनांदगांव जिले के गौठान गांव मोतीपुर विकासखंड डोंगरगढ़ में आयोजित विश्व दलहन दिवस कार्यक्रम सह संगोष्ठी में दलहनी फसलों के विशेष गुणों जैसे -वायुमण्डलीय नत्रजन को एकत्र कर भूमि को उपलब्ध कराते हुए उपजाऊ बनाने के साथ कवर क्राप के रूप में भूमि के कटाव को रोकना, जैव विविधता को बढ़ावा देना तथा फसल चक्र परिवर्तन के माध्यम से कीटव्याधि की समस्या से कृषकों को छुटकारा दिलाने आदि के संबंध में किसानों से चर्चा की गई। जिला राजनांदगांव दलहनी फसलों के प्रमूख गढ़ के रूप में जाना जाता है जहां खरीफ में लगभग 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र तथा रबी में लगभग 1 लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी फसलों की खेती किसानों द्वारा की जाती है।
जलवायु परिवर्तन को रोकने में दलहनी फसलों का है प्रमुख योगदान
जलवायु परिवर्तन से धरती के मौसम में असामयिक बदलाव देखे जा रहे हैं इनमें मानसून के आने में देरी, शीतलहर का प्रकोप तथा अत्यधिक गर्मी से जीव जन्तुओं पर बुरा असर शामिल है। इन प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा देने मे रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग शामिल है जो वातावरण को प्रदूषित करने के साथ ही मनुष्यों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। इन सभी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए दलहनी फसलों का अधिक से अधिक क्षेत्र विस्तार करने की आवश्यकता है जिससे कृत्रिम रासायनिक पोषक तत्वों के खपत को कम कर दलहनी फसलों की जड़ों के माध्यम से ही भूमि को प्राकृतिक रूप से पोषक तत्व उपलब्ध कराया जा सके।