आदिवासी बाहुल्य छोटे से गांव के मोहेंद्र का एमबीबीएस बनने का सपना हुआ साकार, राज्य सरकार ने निर्बाध पढ़ाई के लिए दिया लैपटॉप

रायपुर। गरियाबंद जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखंड छुरा के एक छोटे से गांव संबलपुर में रहने वाले होनहार आदिवासी युवक मोहेंद्र दीवान का एमबीबीएस बनने का सपना पूरा होने जा रहा है। संबलपुर के मोहेंद्र कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत अपना ही नहीं परिवार और गांव का भी सपना पूरा करने में जुटा है। मोहेन्द्र को खड़मा के हाई स्कूल में कक्षा दसवीं की परीक्षा 82 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होने के बाद प्रयास विद्यालय में प्रवेश मिला। जगदलपुर के प्रयास आवासीय विद्यालय में दो साल रहकर जीव विज्ञान (बायोलॉजी) की पढ़ाई की और 87 प्रतिशत अंको के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। मोहेन्द्र को प्रयास विद्यालय के शिक्षकों के मार्गदर्शन, अध्ययन-अध्यापन के अनुकूल वातावरण से पढ़ाई में एक नया आत्मविश्वास मिला। मोहेन्द्र 12वीं में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने के बाद नीट का एग्जाम दिया। पहले ही प्रयास में उनका चयन एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हो गया।

मोहेन्द्र वर्तमान में बिलासपुर स्थित सिम्स में एडमिशन लेकर पहले सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहा है। कोरोना महामारी के कारण स्कूलों और कॉलेजों में ऑफलाइन कक्षाएं लगभग बंद हो गई। मोहेन्द्र के पास ऑनलाईन पढ़ाई के लिए लैपटाप, स्मार्टफोन आदि उपलब्ध नहीं थे, जिसके कारण उन्हें निर्बाध ऑनलाइन पढ़ाई करने में परेशानी हो रही थी। कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने पढ़ाई के प्रति मोहेन्द्र की लगन और आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उनके सपने को साकार करने आदिवासी विकास विभाग से उन्हें लैपटॉप खरीदने के लिए 50 हजार रूपये का चेक विश्व आदिवासी दिवस के शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की वर्चुअल उपस्थिति में कलेक्टर श्री क्षीरसागर द्वारा प्रदान किया गया। कलेक्टर श्री क्षीरसागर ने मोहेन्द्र को चेक सौंपते समय उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए शासन की योजनाओं का पूरा लाभ उन्हें दिया जाएगा। एमबीबीएस छात्र श्री मोहेंद्र ने लैपटाप के लिए चेक प्राप्त करने के बाद कहा कि यदि उचित समय पर शासन का सहयोग नहीं मिलता तो उसे एमबीबीएस की पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती। उनके एमबीबीएस बनने का सपना पूरा नहीं कर पाता। मोहेन्द्र ने राज्य सरकार के सहयोग और कलेक्टर श्री क्षीरसागर के प्रयास के लिए धन्यवाद दिया। अब मोहेन्द्र को अपने एमबीबीएस की पढ़ाई करने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। वे आज अपने सपने को पूरा करने में जुटे हुए हैं।

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