गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने एक माह में तैयार की जाए कार्ययोजना

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में गौठानों को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाकर एक माह के भीतर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के प्रथम वर्ष में गौठानों में अधोसंरचना विकसित करने तथा द्वितीय वर्ष में गौठानों की गतिविधियों के संचालन को गति प्रदान करने का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि अब इस योजना का लोकव्यापीकरण करने की दिशा में कार्य करें। उन्होंने कहा कि धान के लिए इनपुट सब्सिडी देने से प्रदेश में किसानों की संख्या और खेती के रकबे में बढ़ोत्तरी हुई है। इसी तरह गोधन न्याय योजना से डेयरी के व्यवसाय को बढ़ावा मिला है।

उन्होंने कहा कि गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने, अगरबत्ती, साबुन बनाने जैसी आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ गौठानों में धान कूटने की मशीन, तेल पेराई की मशीन लगाई जाए। चर्मशिल्प विकास बोर्ड और लौह शिल्प विकास बोर्ड की गतिविधियां प्रारंभ की जाएं। उन्होंने कहा कि वनांचलों के गौठानों में लघु वनोपजों के वैल्यूएडीशन की गतिविधियों को और अधिक प्रोत्साहित करने के साथ उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं। उन्हांेने कहा कि हर गौठान में रोजगार और आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 5-5 रोजगारमूलक गतिविधियां चिन्हित की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आसपास के गौठानों में अलग-अलग गतिविधियां संचालित हो। मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टरों को साप्ताहिक समीक्षा बैठक में गौठानों की गतिविधियों की नियमित रूप से समीक्षा करने के निर्देश भी दिए।

श्री बघेल ने कहा कि गौठानों में चारे की व्यवस्था के लिए प्रति गौठान 30 से 40 हजार रूपए की राशि दी जा रही है। 4 हजार गौठानों में चारागाह विकसित किए जा रहे हैं। गौठानों में मवेशियों के लिए पानी, चारा और छाया की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि मवेशियों की नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान को और अधिक बढ़ाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टर नरवा योजना की समीक्षा भू-जल स्तर में वृद्धि के आधार पर भी करें। कम जल स्तर वाले क्षेत्रों में कार्य समय सीमा में पूर्ण किए जायें। इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करने से जन-चेतना आएगी और इससे इस अभियान को बल मिलेगा। कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि जल संरक्षण और संवर्धन हेतु निर्मित की जा रही अधोसंरचना से किसी भी किसान की निजी भूमि प्रभावित न हो। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मध्याह्न भोजन, आश्रम, सुपोषण अभियान जैसे अभियानों को बाड़ी घटक से जोड़े जाने की आवश्यकता है। कलेक्टर इन योजनाओं के अभिसरण से समूहों को आत्मनिर्भर बनायें।

बैठक में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक डी. एम. अवस्थी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणु जी.पिल्ले, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव डी.डी. सिंह, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सौम्या चौरसिया सहित प्रमुख सचिव, विभिन्न विभागों के सचिव, कमिश्नर, जिलों के कलेक्टर तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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