रायपुर। कृषि वैज्ञानिकों ने प्रदेश के किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह दिए हैं। रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतों की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दें ताकि सूर्य की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीडो के अण्डे तथा घास के बीज नष्ट हो जाएंगे। इस मौसम में किसान अपनी मिट्टी की जांच किसी प्रमाणित स्त्रोत से करवाएं और जहां संभव हो अपने खेत का समतलनीकरण करवाएं।
अनाज को भडारण में रखने से पहले भंडार घर की अच्छी तरह सफाई करें तथा अनाज को अच्छी तरह से सुखा लें एवं कूड़े-कचरे को जला या दबाकर नष्ट कर दें। भंडारण की छत, दीवारों और फर्श पर एक भाग मेलाथियान 50 ई.सी. को 100 भाग में मिलाकर छिड़काव करें। ग्रीष्मकाल में हरी खाद के लिए सनई, ढैंचा, ग्वार, लोबिया, मूंग आदि की बुवाई कर सकते हैं। सनई की बीज दर 60-70 और ढैंचा की 50-60 किलोग्राम प्रति हेक्टेर की दर से बुवाई करें। अच्छे अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
इसी प्रकार ग्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया आदि चारा फसलों की बुआई इस सप्ताह कर सकते हैं, बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है। बीजों को 3-4 सेंटीमीटर गहराई पर डाले और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेंटीमीटर रखें। किसान अरहर और कपास की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करें तथा बीज किसी प्रमाणित स्त्रोत से ही खरीदें।
तापमान अधिक रहने की संभावना को देखते हुए, किसान तैयार सब्जियां की तुड़ाई सुबह या शाम को करें तथा इसके बाद इस छायादार स्थान में रखें। इस मौसम में बेल वाली फसलों में न्यूनतम नमी बनाएं रखें अन्यथा मृदा में कम नमी होने से परागण पर असर हो सकता है, जिससे फसल उत्पादन में कमी आ सकती है। भिंडी की फसल में तुड़ाई के बाद युरिया 5-10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से डाले तथा माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहे, अधिक कीट पाए जाने पर ईथियॉन 5-2 मिली-लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। इस मौसम में भिंडी की फसल की हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें। बैंगन तथा टमाटर की फसल को प्ररोह एवं फसल छेदक कीट से बचाव के लिए ग्रसित फलों तथा प्रोरहों को इकठ्ठा कर नष्ट करें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेइ कीटनाशी 48 ई.सी एक मिली-4 लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। अगले दो दिन तक मौसम शुष्क रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सभी सब्जियों तथा खड़ी फसलों में हल्की सिंचाई करें। सिंचाई सुबह या शाम के समय ही करें।